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सावन महिना मनभावन बलम हो लुभावन बा ,
हरिहर चुरी हरिहर साडी बलम इहो सावन बा ,
नहीं बोलब हम साडी ला द बलम बड कारन बा ,
चुरी का पहिनी हमू बलम महंगाई बनल रावण बा ,
सावन महिना मनभावन बलम हो लुभावन बा ,
सोचले रहनी अबकीर सावन में बाबाधाम जाइब,
पिया के संग कावर लेके बोल बम रट लगाइब ,
महंगाई के मार से गेरुआ बस्तर ना किनानी ,
देखे के मन करे बाबा हो धाम तोहर पावन बा ,
सावन महिना मनभावन बलम हो लुभावन बा ,
बढ़ल रहे जब महिना खुसी के रहे ना ठिकाना ,
का जननी महंगाई मारी मुस्किल से बीती महिना ,
केकरा के कोसी हमही दोसी अब भूल हमसे होइना ,
अबकीर आइबा तुहू चिलईबा वादा तोहर लुटान बा ,
सावन महिना मनभावन बलम हो लुभावन बा ,

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Replies to This Discussion

सावन मे बहुत ही जबरदस्त रचना दिहले बानी गुरु जी, जय हो ,

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