For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इमरान खान
  • Male
  • Muzaffaranagar
  • India
Share on Facebook MySpace

इमरान खान's Friends

  • DIGVIJAY
  • Mukesh Verma "Chiragh"
  • आशीष नैथानी 'सलिल'
  • नादिर ख़ान
  • Vipul Kumar
  • aashukavi neeraj awasthi
  • khalid ansari
  • Prabha Khanna
  • jahir
  • Tilak Raj Kapoor
  • Er. Ambarish Srivastava
  • वीनस केसरी
  • Rohit Singh Rajput
  • योगराज प्रभाकर
  • Rash Bihari Ravi
 

इमरान खान's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Muzaffarnagar
Native Place
Miranpur
Profession
BUSINESS
About me
SIMPLE PERSON.. FULL OF EMOTIONS .. ZERO IN ATTITUDE AND COMMUNICATION

इमरान खान's Photos

  • Add Photos
  • View All

इमरान खान's Videos

  • Add Videos
  • View All

इमरान खान's Blog

दबे कुचले हुए लोगो! तुम्हें अब तक भरोसा है? -- इमरान खान

हुकूमत तुम ग़रीबों के सरों पर हाथ रक्खेगी,

दबे कुचले हुए लोगो! तुम्हें अब तक भरोसा है?

सियासत अपने मंसूबों में तुमको साथ रक्खेगी,

मसाइल से घिरे लोगो! तुम्हें अब तक भरोसा है?

तुम्हारी आंख से निकले हुए आंसू को वो देखें?

तुम्हारी सिसकियाँ देखें या फॉरेन टूर को देखें?

तुम्हारी फस्ल ना आने के मातम को मनायेगें,

या जाकर वेस्ट कंट्री से वो एफडीआई लायेंगे?

मिटाना चाहते हैं वो दुकानों को बाज़ारों से,

कोई…

Continue

Posted on December 3, 2015 at 3:00pm — 13 Comments

पास क्या दूर भी नहीं कोई (इमरान खान)

आज किस तरह ज़िन्दगी खोई,

पास क्या दूर भी नहीं कोई.

एक तस्वीर दिल पे है चस्पा,

रूह जिसको लिपट-लिपट रोई.

रात भर बेकली रही मुझ पर,

और दुनिया सुकून से सोई.

फूल आंगन में अब न तुम ढूंढो,

फस्ल काँटों भरी अगर बोई.

वक़्त अपना कुछ इस तरह बीता,

हमनशीं हो गई गज़लगोई.

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Posted on August 6, 2015 at 4:30pm — 7 Comments

डूबा था पर बाहर आया....

‌‌‌अपनी जान बचा तो पाया,

डूबा था पर बाहर आया।

जब इल्ज़ामों की बारिश थी,

पास नहीं था मेरे साया।

मुझको गैर बताकर उसने,

हाय गजब ये कैसा ढाया।

तन्हाई में खाली दिल ने,

साज़ उठाया नग़मा गाया।

जबसे सच्चाई जानी है,

हर रिश्ते से दिल घबराया।

प्यार भरा दिल तोड़ा जिसने,

मानो उसने मंदिर ढाया।

कुछ मिसरे ये टूटे फूटे,

हैं मेरा सारा सरमाया।

हम…

Continue

Posted on July 26, 2015 at 3:18pm — 8 Comments

जिंदगी सर को झुका कर रह गई...

हर क़दम पर मात खाकर रह गई,

जिंदगी सर को झुका कर रह गई.

देख लो पहचान मेरी हो जुदा,

एक खुदसर में समाकर रह गई.

होगी मलिका सल्तनत की वो मगर,

मेरी खातिर कसमसा कर रह गई.

रूह मुझसे जाँ छुड़ाने के लिए,

हर दफा बस छटपटा कर रह गई.

सोजे दिल पानी से भी ना बुझ सके,

आंख भी आंसू बहा कर रह गई.

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Posted on December 4, 2014 at 3:58pm — 16 Comments

Comment Wall (4 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 8:30pm on September 1, 2011, khalid ansari said…
bahut bahut shukriya bhai...
At 10:46pm on June 15, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 3:40pm on June 15, 2011, PREETAM TIWARY(PREET) said…
At 7:20pm on June 10, 2011, Admin said…
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
20 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service