तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद सम्मान्य मंच ओबीओ, संचालक महोदय ,प्रधान संपादक महोदय तथा निर्णायक मंडल। यह मेरे लिये अत्यंत प्रसन्नता व हौसला अफज़ाई का अविस्मरणीय शुभ अवसर है। आपके निर्देश व मार्गदर्शन के अनुपालन की पूरी कोशिश करूँगा।
आदरणीय ,इस सम्मान के लिए मै ओबिओ के मंच और प्रबंधन समूह की तहे दिल से आभारी हूँ
At 4:05pm on September 16, 2015, Ravi Shukla said…
आदरणीय गणेश जी सितम्बर 2015 के लिये 'महीने का सक्रिय सदस्य' से समानित होन पर गर्व का अनुभव हो रहा है आपका, प्रबधन समूह का और ओ बी ओ मंच का हार्दिक आभार ।
मुझे सम्मानित करने हेतु मैं दिल से "ओ बी ओ" तथा आदरणीय बागी जी आपका दिल से बहुत आभारी हूँ । सच कहूँ तो देरी होने का कारण सिर्फ इस थ्रेड से अनभिज्ञता तथा मेरे मोबाइल के छोटे अक्षर ही रही । इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ । मैं अपने ईमेल से अपना पता भी प्रेषित करता हूँ । सादर !!!!
मुझे सम्मान देने हेतु तहे दिल से आभार आदरणीय गणेश जी बागी जी । मेरी व्यस्तता की वजह से मै आपके इस मेल सम्बन्धी सूचना में देर कर दी हूँ । इस बाबत क्षमाप्रार्थी हूँ । अभी मै अपना मेल आई डी प्रेषित करती हूँ । सादर नमन
आपके कहे अनुसार मैंने मेल कर दिया है अपने पता और फोन नंबर सहित .माह की रचना कही जाने से मेरी कृति धन्य हुई . मैं योगराज सर और OBO परिवार को धन्यवाद प्रदान करतीं हूँ कि इस सम्मान के योग्य मुझे समझा .
सादर अभिवादन ! महोदय, 9 अगस्त 2014 को आप ने मेरे ब्लॉग के कमेंट वाल पर अपनी टिप्पणी के माध्यम से मुझे मेरी ग़ज़ल "माँ,बहन,बेटी के आँसू" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" के रूप में सम्मानित किए जाने तथा 'प्रसस्ति पत्र' प्रदान करने की सूचना दी थी | आप के निर्देशानुसार मैंनेअपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर तभी भेज दिया था, किन्तु मुझे आज तक 'प्रशस्ति पत्र ' प्राप्त नहीं हुआ है और मेरा पता भी बदल गया है | अब मैं केन्द्रीय विद्यालय, सुलातानपुर की जगह केन्द्रीय विद्यालय, गणेशपुर रोड, बस्ती (उ.प्र.) में कार्यरत हूँ | अब मेरा पत्राचार का वर्तमान पता निम्न लिखित है—
“टाइप IV/1, टीचर्स कॉलोनी
गणेशपुर रोड, केन्द्रीय विद्यालय
बस्ती (उ.प्र.)
पिन – 272002
फोन नं. – 9839429556”
आप ने ‘प्रशस्ति पत्र’ भेजा था या नहीं, कृपाकर अवगत कराएँ | साथ ही दोनों ही स्थितियों में, आशा है आप ‘प्रशस्ति पत्र’ अवश्य भेज देंगे |
आदरणीय बागी जी ..विगत कुछ दिनों से पारिवारिक सदस्यों की स्वास्थ्य संबंधी समस्या के कारन अपने इस प्रिय मंच से दूर रहना पड़ा ..आज स्थितियों से थोडा उबरने पर पुनः इस मंच से जुड़ने का सौभाग्य मिला और साथ में आपका हौसला बढाता हुआ सन्देश मिला ..मैं यह सम्मान प्रदान करने के लिए मंच का और आपका आभारी हूँ ..मेरा मेल आई डी जिस पर मैंने ये खाता खोला था किसी कारण वश खुल नहीं पा रहा है ..मैं कोशिस करूंगा और मेल करूंगा ..एक बार पुनः ह्रदय से धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सादर
आदरणीय बागी जी
पहले आपका पुनः आभार
किसी व्यस्तता के कारण मेल नहीं भेज सका
और मेरा gmail account कुछ समस्या होने की वजह से खुल नहीं रहा है
क्या मैं यहीं आपके box में अपना पता लिख दू
या फ़ोन पर बता दूँ
या फिर account सही होने की wait करता हु
जैसा आप निर्देश दे
और एक निवेदन ये है कि
कृपिया एहसास की जगह अहसास लिख दे
आभार
सादर
आदरणीय बागी जी .. मैं बहुत दिनों से व्यस्त रही .. ओबिओ पर आना ही नहीं हो पाया इसलिए आप का सन्देश भी नहीं देखा. मुझे यह सम्मान प्रदान करने के लिए मंच की बहुत बहुत आभारी हूँ ,,
लेकिन अपनी तस्वीर मैं व्यक्तिगत कारणों से मंच पर प्रस्तुत नहीं कर सकती . इसलिए माफ़ी चाहती हूँ. यह बात मैंने मंच के संचालक मंडल से पहले बता दी थी
आदरणीय बागी जी आपको जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं ..आपने जिस साहित्यिक मंच का सपना देखा वह मंच ऐसा अद्भुत मंच है कि उससे जुड़कर मैं अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता हूँ ..आपके मार्गदर्शन में यह साहित्यिक मंच ऐसे ही फलता फूलता रहे इस कामना के साथ सादर
आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi जी तहे दिल से आभारी हूँ ! कहना चाहूँगा की इस सम्मान से उत्साहित हूँ और मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है ! इस प्रोत्साहन से मेरे प्रयास को तेजी मिलेगी ताकि मैं और अच्छा लिख सकूँ ! आप सब गुणीजनों से मार्गदर्शन की अपेक्षा रहेगी ! सादर
एवम् समस्त OBO टीम को का बहुत बहुत आभार,जिन्होंने मुझे इस सम्मान के लायक समझा,obo मंच से जुड़ना मेरे लिए स्वयं में ही सौभाग्य का विषय है,मेरा पूरा प्रयत्न यही रहेगा की मै भविष्य में भी इसी प्रकार मंच से जुड़ा रहूँ,और अपना यथासंभव सहयोग देता रहूँ!obo के रूप में एक नया परिवार पाकर मै अभिभूत हूँ!!
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
Er. Ganesh Jee "Bagi"'s Comments
Comment Wall (269 comments)
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online
सादर अभिवादन।
ओबीओ परिवार का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर गौरव की अनुभूति हो रही है। सम्पूर्ण परिवार को मेरा प्रणाम् निवेदित है।
_शेख़ शहज़ाद उस्मानी
शिवपुरी म.प्र.
आदरणीय ,इस सम्मान के लिए मै ओबिओ के मंच और प्रबंधन समूह की तहे दिल से आभारी हूँ
आदरणीय महोदय ,
आपके कहे अनुसार मैंने मेल कर दिया है अपने पता और फोन नंबर सहित .माह की रचना कही जाने से मेरी कृति धन्य हुई . मैं योगराज सर और OBO परिवार को धन्यवाद प्रदान करतीं हूँ कि इस सम्मान के योग्य मुझे समझा .
आभार .
आदरणीय श्री गणेश जी ‘बागी’
महोदय,
सादर अभिवादन ! महोदय, 9 अगस्त 2014 को आप ने मेरे ब्लॉग के कमेंट वाल पर अपनी टिप्पणी के माध्यम से मुझे मेरी ग़ज़ल "माँ, बहन, बेटी के आँसू" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" के रूप में सम्मानित किए जाने तथा 'प्रसस्ति पत्र' प्रदान करने की सूचना दी थी | आप के निर्देशानुसार मैंने अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर तभी भेज दिया था, किन्तु मुझे आज तक 'प्रशस्ति पत्र ' प्राप्त नहीं हुआ है और मेरा पता भी बदल गया है | अब मैं केन्द्रीय विद्यालय, सुलातानपुर की जगह केन्द्रीय विद्यालय, गणेशपुर रोड, बस्ती (उ.प्र.) में कार्यरत हूँ | अब मेरा पत्राचार का वर्तमान पता निम्न लिखित है—
“टाइप IV/1, टीचर्स कॉलोनी
गणेशपुर रोड, केन्द्रीय विद्यालय
बस्ती (उ.प्र.)
पिन – 272002
फोन नं. – 9839429556”
आप ने ‘प्रशस्ति पत्र’ भेजा था या नहीं, कृपाकर अवगत कराएँ | साथ ही दोनों ही स्थितियों में, आशा है आप ‘प्रशस्ति पत्र’ अवश्य भेज देंगे |
सद्भावनाओं सहित |
भवदीय,
संतलाल करुण
आदरणीय बागी जी ..विगत कुछ दिनों से पारिवारिक सदस्यों की स्वास्थ्य संबंधी समस्या के कारन अपने इस प्रिय मंच से दूर रहना पड़ा ..आज स्थितियों से थोडा उबरने पर पुनः इस मंच से जुड़ने का सौभाग्य मिला और साथ में आपका हौसला बढाता हुआ सन्देश मिला ..मैं यह सम्मान प्रदान करने के लिए मंच का और आपका आभारी हूँ ..मेरा मेल आई डी जिस पर मैंने ये खाता खोला था किसी कारण वश खुल नहीं पा रहा है ..मैं कोशिस करूंगा और मेल करूंगा ..एक बार पुनः ह्रदय से धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सादर
पहले आपका पुनः आभार
किसी व्यस्तता के कारण मेल नहीं भेज सका
और मेरा gmail account कुछ समस्या होने की वजह से खुल नहीं रहा है
क्या मैं यहीं आपके box में अपना पता लिख दू
या फ़ोन पर बता दूँ
या फिर account सही होने की wait करता हु
जैसा आप निर्देश दे
और एक निवेदन ये है कि
कृपिया एहसास की जगह अहसास लिख दे
आभार
सादर
आदरणीय बागी जी .. मैं बहुत दिनों से व्यस्त रही .. ओबिओ पर आना ही नहीं हो पाया इसलिए आप का सन्देश भी नहीं देखा. मुझे यह सम्मान प्रदान करने के लिए मंच की बहुत बहुत आभारी हूँ ,,
लेकिन अपनी तस्वीर मैं व्यक्तिगत कारणों से मंच पर प्रस्तुत नहीं कर सकती . इसलिए माफ़ी चाहती हूँ. यह बात मैंने मंच के संचालक मंडल से पहले बता दी थी
आदरणीय बागी जी आपको जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं ..आपने जिस साहित्यिक मंच का सपना देखा वह मंच ऐसा अद्भुत मंच है कि उससे जुड़कर मैं अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता हूँ ..आपके मार्गदर्शन में यह साहित्यिक मंच ऐसे ही फलता फूलता रहे इस कामना के साथ सादर
सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर said…
आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi जी तहे दिल से आभारी हूँ ! कहना चाहूँगा की इस सम्मान से उत्साहित हूँ और मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है ! इस प्रोत्साहन से मेरे प्रयास को तेजी मिलेगी ताकि मैं और अच्छा लिख सकूँ ! आप सब गुणीजनों से मार्गदर्शन की अपेक्षा रहेगी ! सादर
आदरणीय
गणेश जी बागी सर,
एवम् समस्त OBO टीम को का बहुत बहुत आभार,जिन्होंने मुझे इस सम्मान के लायक समझा,obo मंच से जुड़ना मेरे लिए स्वयं में ही सौभाग्य का विषय है,मेरा पूरा प्रयत्न यही रहेगा की मै भविष्य में भी इसी प्रकार मंच से जुड़ा रहूँ,और अपना यथासंभव सहयोग देता रहूँ!obo के रूप में एक नया परिवार पाकर मै अभिभूत हूँ!!
सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर said…
आदरणीय एडमिन महोदय, इस सम्मान के लिए आपने मुझे लायक समझा, ये मेरा सौभाग्य है. मैं एडमिन आदरणीय बागी सर एवं मंच प्रबंधन का ह्रदय से आभारी हूँ.
नए वर्ष में नए हर्ष में
सुधियों का मकरंद i
जीवन का परिमल बन जाए
महकाये हर छंद I
-गोपाल नारायन श्रीवास्तव
महीने का सक्रिय सदस्य बनाने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय बागी जी
आ० बागी जी
सादर आभार i अशरफुल मखलूकात का एर्थ है जीवधारियों में शिरोमणि अर्थात मानव i ससम्मान i
Welcome to
Open Books Online
Sign Up
or Sign In
कृपया ध्यान दे...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
6-Download OBO Android App Here
हिन्दी टाइप
देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...
साधन - 1
साधन - 2
Latest Blogs
ममता का मर्म
लघुकविता
दोहा पंचक. . . . कागज
कुंडलिया ....
दोहा सप्तक. . . विरह
दोहे-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
दोहा सप्तक. . . विविध
सावन
दोहा पंचक. . . . .शीत
दोहा पंचक. . . . .मतभेद
तिश्नगी हर नगर की बुझा --लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
रोला छंद. . . .
रोला छंद. . . .
तुझे पाना ही बस मेरी चाह नहीं
दोहा पंचक. . . . विविध
कुंडलिया छंद
एक ही सत्य है, "मैं"
ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
Latest Activity
'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169
तिश्नगी हर नगर की बुझा --लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
रोला छंद. . . .
दोहा पंचक. . . . विविध
रोला छंद. . . .
तिश्नगी हर नगर की बुझा --लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
दोहे-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
सावन
लघुकविता
ममता का मर्म