ताकत झांकत लूटत पाटत,छीनत बीनत नोट फटा फट !
लोगन की परवाह नहीं अरु ,चाट रहे सब देश चटा चट!!
दौड़त भागत घूम रहे अरु, खाइ रहे सब कोष गटा गट !
बन्दर बांट करें फिर झूमत ,आपन लूट बढ़ाइ झटा झट !!
राम शिरोमणि पाठक"दीपक
मौलिक /अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार भाई अमन कुमार जी////
हार्दिक आभार प्रज्ञा जी////
हार्दिक आभार आदरणीय श्याम नरेन जी /सादर
हार्दिक आभार आदरणीय आशुतोष जी /सादर
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ. |
बधाई
bahut sunder bandhu waah waah
हार्दिक आभार आदरणीय शरदिंदु जी ////
क्या बात है पाठक जी!! मज़ा आ गया.
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