For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वर्ल्ड हार्ट डे ('World Heart Day 26.09.2010) पर

कोई भी बात दिल से न अपने लगाइये,
अब तो ख़ुद अपने दिल से भी कुछ दिल लगाइये ।

दिल के मुआमले न कभी दिल पे लीजिये,
दिल टूट भी गया है तो फिर दिल लगाइये ।

दिल जल रहा हो गर तो जलन दूर कीजिये,
दिलबर नया तलाशिये और दिल लगाइये ।

तस्कीन-ए-दिल की चाह में मिलता है दर्द-ए-दिल,
दिलफेंक दिलरुबा से नहीं दिल लगाइये ।

दिल हारने की बात तो दिल को दुखाएगी,
दिल जीतने की सोच के ही दिल लगाइये ।

बे-दिल, न मुर्दा-दिल, न ही संगदिल, न तंगदिल,
बुज़दिल नहीं हैं आप तो फिर दिल लगाइये ।

’शम्सी’ के जैसा ना कोई दिलदार जब मिले,
क्या ख़ाक दिल चुराइये, क्या दिल लगाइये !

Views: 349

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on September 28, 2010 at 6:17am
Bs dil lagaiye. Ye soch sbme ho to sard fsad mit jay. Behatrin ghazal. Dhanyawad kubul kare.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 26, 2010 at 8:35pm
दिल हारने की बात तो दिल को दुखाएगी,
दिल जीतने की सोच के ही दिल लगाइये ।
अच्छा प्रयास है मोईन साहिब , बहुत बढ़िया सोच है , लिखते रहिये अच्छा लिख रहे हैं ,
Comment by Admin on September 26, 2010 at 8:32pm
आदरणीय मोईन शम्सी जी, प्रणाम,
सर्वप्रथम तो मैं ओपन बुक्स ऑनलाइन के मंच पर आपके पहले नज्म का दिल से स्वागत करता हूँ , ख्यालात अच्छे है, जरा जी कोशिश की जरूरत थी , यह रचना मुकम्मल ग़ज़ल बन सकती थी, ओपन बुक्स ऑनलाइन सीखने सिखाने का ही मंच है जहा सभी लोग एक दुसरे से सीखते हैं,
पुनः आपके पहली नज्म हेतु बधाई |

आपका
एडमिन
OBO

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
8 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service