For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिंदी गजल: बहरे हजज मुसद्दस (6) सालिम

1222 1222 1222
""""""""""""""""""""'"""""""'''"''''''
गजब ये रंग देखा है जमाने का।
सहारा है सभी को इक बहाने का।
*****
नजर के तीर से कर चाक दिल मेरा,
कहेगें हाल तो कह दो निशाने का।
*****
रही आदत खिलौना प्यार को समझा,
किया है खेल रोने औ रुलाने का।
*****
हमारा दर्द ही हमको सिखाया है,
बुरे हालात में, हँसने हँसाने का।
*****
मरा है क्यों उसीपे ऐ दिवाना दिल,
हिदायत दे गया जो छोड़ जाने का।
*****
तड़पते देख हैं-हैरान उनको हम,
जिन्हें उस्ताद माना था सताने का।
*****
लिखा मैंने वही उल्फत जुड़ी तुमसे
बुरा ही हश्र हुआ मेरे फ़साने का।
*****

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 1686

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on April 4, 2015 at 5:21am
आदरणीय समर कबीर जी एवं आदरणीय निलेश सेवगांवकर जी सादर नमन और आभार देय सराहना और सुझाव हेतू।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 3, 2015 at 6:59pm

बहुत खूब ग़ज़ल हुई है ..बधाई. गिरिराज जी की बात पर गौर कीजिएगा.
दूसरे और तीसरे शेर में ज़ुज्ब ए रदिफैन नामक दोष है जो दोनों मिसरों के रदीफ़ के एक सामान स्वर पर समाप्त होने को कहते हैं
सादर    

Comment by Samar kabeer on April 3, 2015 at 2:51pm
जनाब सुनील प्रसाद(शाहाबादी) जी,आदाब,सुन्दर हिन्दी ग़ज़ल हेतु बधाई स्वीकार करें |
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on April 3, 2015 at 12:14pm
हार्दिक आभार आदरणीय श्यामनारायण वर्मा जी।
Comment by Shyam Narain Verma on April 3, 2015 at 12:11pm
बेहद उम्दा ...बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय | सादर 
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on April 2, 2015 at 8:41pm
आभार भाई महर्षि त्रिपाठी जी आपका आपको ग़ज़ल पसंद आई लेखनी सार्थक हुई नमन आपको।
Comment by maharshi tripathi on April 2, 2015 at 8:34pm

अच्छी गजल पर ढेरो दाद आपको आ. सुनील प्रसाद(शाहाबादी जी |

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on April 2, 2015 at 8:01pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सलाम कुबूल करें आपके अनमोल सुझाव और सराहना पाकर अभिभूत हूँ , बहुत आभार आपका।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 2, 2015 at 4:28pm

आदरणीय सुनील भाई , गज़ल बहुत अच्छी हुई है , दिली मुबारक बाद हाज़िर है । कुछ मिसरे आ.मिथिलेश भाई जी ने सुधार के लिये सुझाये हैं , गर आपको पसंद आये तो ऐसे कह के देखिये --

हमारे दर्द ने ढब ये सिखया है

बुरी हालत में भी हँसने हसाने का

मरा तू क्यों भला उसपे दिवाना दिल,
हिदायत दे गया जो छोड़ जाने का।

कहूँ क्या मै भला उल्फ़त से क्या पाया
बुरा अंजाम था  मेरे फ़साने का

आदरणीय , किसी के भाव तक पहुँच के सलाह देना कठिन काम है , फिर भी, अगर सही लगे तो स्वीकार कीजियेगा , अन्यथा और कुछ जो भी आपको सही लगे कह लीजियेगा ॥

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on April 2, 2015 at 3:16pm
बहुत आभार आपका मिथलेश वामनकर जी आपके सुझाव का स्वागत है आदरणीय कुछ अच्छा आप ही सुझा दें जिसपे गौर किया जा सके सादर नमन आपको।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Zaif जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  2122 2122 2122 212 घोर…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Zaif जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए अमीर जी की टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर है…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है ,हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है,बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका सादर"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। कृपया कुछ कमिया बता कर उसका निदान भी बताते तो…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधाई। भाई अमीरुद्दीन जी की सलाह पर गौर करें।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, स्नेह के लिए आभार।"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service