For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

-------ग़ज़ल -------
2122 1212 22
बात तुम भी खरी नही करते ।
काम कोई सही नही करते ।

चोट दिल पर लगी है फिर उसके ।
काम ये मजहबी नहीं करते ।।

जब से अफसर बना दिया कोटा ।
बात अच्छी भली नहीं करते ।।

दोस्तों की किसी तरक्की में ।
यूँ मुसीबत खड़ी नहीं करते ।।

जिंदगी पर यकीन है जिनको । वो कभी खुदकुशी नहीं करते ।।

कुछ तो खुन्नस बनी रही होगी ।
बेसबब बेरुखी नहीं करते ।।

पेंग गर प्यार की बढ़ानी है ।
प्यार में हड़बड़ी नही करते ।।

है मुहब्बत का आसरा जिनको ।
हुस्न की रहबरी नहीं करते ।।

सिर्फ मिसरे से काम क्या चलता ।
टिप्पणी कुछ कभी नही करते ।।

थी गरीबी की दास्तां होगी ।
काम गन्दा सभी नहीं करते ।।

मुझ को मालूम राज की कीमत ।
बेवफाई कभी नही करते ।।

जिनको मंजिलकी फिक्रहै काफी ।
वक़्त से दुश्मनी नहीं करते ।।

है पता उन्को कैफियत अपनी ।
वो इधर तर्जनी नहीं करते ।।

ये मुहब्बत है खेल मत मुझसे ।
हम ।कभी दिल्लगी नहीं करते ।

रहनुमाई चली गई जब से ।
बात तब से बड़ी नहीं करते ।।

वोट पाकर वो गया वरना ।
लोग बे ।इज्जती नहीं करते ।।

है मुहब्बत का आसरा जिनको ।
हुस्न की रहबरी नहीं करते ।।

चोट दिल पर लगी है फिर उसके ।
काम ये मजहबी नहीं करते ।।

पेंग गर प्यार की ब बढ़ानी है ।
प्यार में हड़बड़ी नही करते ।।

सिर्फ मिसरे से काम क्या चलता ।
टिप्पणी कुछ किया नही करते ।।

वो निशाने पे तीर था वरना ।
वो कभी खलबली नहीं करते ।।

बैठ जाये कोई मेरे सर पर ।
छूट इतनी खुली नहीं करते ।।

सर फ़रोसी की है तमन्ना अब ।
वार में बुजदिली नहीँ करते ।।

कीमतें वह वसूलते हैं जो।
माल अपना दही नहीं करते ।।

शर्त है जिस्म दिल लगाने की ।
लोग क्या ज्यादती नहीं करते ।।

गर किसानों से वास्ता रखते ।
मुल्क में भुखमरी नहीँ करते ।।

कुछ तबीयत मचल गयी होगी ।
हम कभी आशिकी नही करते ।।

मुफ़्लिशी दौर से जो है वाकिफ़ ।
वो हमारी हसी नहीँ करते ।।

फंस न् जाएं ये पाँव ही अपने ।
हम जमीं दलदली नहीं करते ।।

खास शातिर हैं इश्क के मुजरिम ।
हाथ में हथकड़ी नहीं करते ।।

है छुपाना अगर ये धन काला ।
बिस्तरे मखमली नहीं करते ।।

खर्च का बोझ बढ़ गया जब से ।
बात अब रस भरी नही करते ।।

सर्जिकल हो गई वहां जब से ।
मूछ अपनी तनी नहीं करते ।।

ध्यान देतीं नहीं अगर मैडम ।
आज हम शायरी नहीं करते ।।

मैं तो ठहरा हूँ इस तरह दिल मे ।
आप अब हाजिरी नहीं करते ।।

देश द्रोही है कन्हैया उनका ।
दुश्मनों की कमी नहीं करते ।।

फिर हुए हैं जवान क्यो जख्मी।
लोग क्या मुखबिरी नहीं करते ?

नेकियाँ बेहिसाब हैं उनकी ।
हम कभी भी बदी नहीं करते ।।

क्यों उमीदें लगा के बैठे हो ।
अब्र ये चांदनी नहीं करते ।।

जब से लूटा है लाल कुर्ते ने ।
रेलवे में कुली नहीं करते ।।

बाम पंथी बिके हुए शायद ।
जुर्म पर सनसनी नहीं करते ।।

जब भी मारा है उसने आतंकी ।
क्यों वे जाहिर खुशी नहीं करते ।।

मैं भी आज़ाद हो गया होता ।
तेरे शिकवे बरी नहीं करते ।।

जब से दौलत का हाल जाना है ।
आँख वो शरबती नहीं करते ।।

कोई राधा नहीं दिखे तब तक ।
होठ पर बाँसुरी नहीं करते ।।

काफ़िया वो बना रहे काफी ।
ध्यान हर्फे रवी नहीं करते ।।

गर कलम जारही है मंजिल तक ।
रोक कर मन दुखी नहीं करते ।।

काम ऐसा बचा नहीं कोई ।
अब जिसे आदमी नहीं करते ।।

मिल गया जब से है उन्हें वोहदा ।
बात भी लाजिमी नहीं करते ।।

शुद्ध पण्डित का है लहू रग में ।
काम मे जाहिली नहीं करते ।।

हो गई हाफ सेंचुरी

Views: 669

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 25, 2017 at 9:29pm
आ0 गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on June 25, 2017 at 9:28pm
भाई जयनित मेहता जी आभार मित्र
Comment by जयनित कुमार मेहता on June 25, 2017 at 3:38pm
काम ऐसा बचा नहीं कोई ।
अब जिसे आदमी नहीं करते ।।

इस शेर ने अकेले ही दिल लूट लिया आदरणीय।
ग़ज़ल भी बहुत अच्छी हुई है।
हाफ सेंचुरी के लिए विशेष बधाई आपको।।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 23, 2017 at 10:15pm

सुभान  अल्लाह -------- ऐसा तो किसी ने नहीं किया .  एक प्रयोग के रूप  में  यह प्रयास ठीक कहा जाएगा पर मेरी मति में गजल इतनी बड़ी नहीं होनी चाहिए. सादर , साधुवाद .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"मेरे  महबूब  कभी  वो  हसीं  चहरा  देखूँ   दिन भी बन जाए…"
7 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
51 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
53 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
54 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदाब, आदरणीय भाई नीलेश शेवगांवकर साहब, बेहद खूबसूरत ग़ज़ल से नवाज़ा, आपने, असीम बधाई, जनाब !"
58 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
".इक सज़ा है कि जिये जाऊँ ये दुनिया देखूँ वो जो होता ही नहीं है उसे होता देखूँ. . मेरे अन्दर भी…"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय धामी जी।सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए। गिरह में एक नए नजरिये से बात रखी आपने। ग़ज़ल हेतु बधाई।"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Euphonic Amit जी सादर नमस्कार। इतनी बारीकियों से इंगित कराने हेतु आपका आभार। सचमुच बहुत…"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"सम्माननीय शुक्ला जी। ग़ज़ल तक आने व प्रतिक्रिया हेतु आपका आभार व्यक्त करता हूँ। जी आपने त्रुटि पर…"
3 hours ago
Ravi Shukla commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आदरणीय सुनेन्द्र नाथ जी उत्तम गीत के लिये बहुत बहुत बधाई "
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल कुछ वक़्त और मश्क़ चाहती है। 2122 1122 1122…"
4 hours ago
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय दिनेश जी तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है मुबारक बाद पेश है ।  दूसरे शेर में इमारत…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service