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मेरा इंतज़ार करना

मेरे प्रियतम

मेरा इंतज़ार करना

जब बादल झूम कर बरसे

धरती की प्यास बुझाने

मोह जताने

पर

तेरे मन की प्यास

मिलन की प्यास

देख

वो तर ना हो पाए

जब वो गौरैया उन्मुक्त हो जाये

चहचहाये

ख़ुशी फ़ैलाने

तुझे मनाने

पर तेरी आँखों से उदासी का गीत

चुरा गाये

जब सूरज पूरब की बाँहों में

खिले , मुस्काये

पर तेरे सूखे अधर देख

बीती रात

पश्चिम के साथ

प्रणय की याद

उसे सताए

जब सावन आये मस्ती में

हरियाली फ़ैलाने

तुझे रिझाने

पर

वो पीपल का पेड़

हाँ हाँ

वही पीपल का पेड़

चुपके से

तेरी खामोशी

गिरा जाये

जब नदियां खुश हों

खेतों की वो

बरसों सूनी

गोद भर जाये

पर वो झील

जो तुम्हारे अकेलेपन की

अब भी साक्षी है

अश्रु  बहाये

प्रलय ले आये

उस दिन

हाँ

उसी दिन

मैं आऊंगा

तब तक

मेरे प्रियतम

मेरा इंतज़ार करना। 

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Vishal Goyal on November 15, 2017 at 9:53am

देरी के लिए माफ़ी समर कबीर और मोहम्मद आरिफ साहब  , बहुत बहुत धन्यवाद् आपका !

Comment by Samar kabeer on November 12, 2017 at 5:25pm
जनाब विशाल गोयल साहिब आदाब,अच्छी लगी आपकी अतुकान्त कविता,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Samar kabeer on November 12, 2017 at 5:23pm
जनाब आरिफ़ साहिब ये रचना विजय निकोर जी की नहीं है ।
Comment by Mohammed Arif on November 12, 2017 at 7:50am
आदरणीय विजय निकोर जी आदाब, सुंदर रचना । रचना में व्यर्थ का लंबान अखर रहा है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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