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(१)
ये जो इंसान आज वाले हैं
कुछ अलग ही मिजाज वाले हैं
रास्तों पर अलग अलग चलते
एक ही ये समाज वाले हैं
दस्तख़त से बनें मिटें रिश्तें
कागजी ये रिवाज वाले हैं
रावणों की मदद करें गुपचुप
लोग ये रामराज वाले हैं
रोज खबरों में हो रहे उरियाँ
ये बड़े लोकलाज वाले हैं
मुंह छुपाते विदेश में जाकर
जो बड़े कामकाज वाले हैं
भूख होती है क्या वो क्या जानें
वो जो मोटे अनाज वाले हैं
(२ )
काम तो चालबाज़ वाले हैं
नाम उनके फ़राज़ वाले हैं
आज फलफूलते वही रस्ते
वो भले एतराज़ वाले हैं
अब परस्तार भी बटे देखो
ये भजन ये नमाज़ वाले हैं
कश्तियों को न रास्ता देते
ये जो चौड़े जहाज़ वाले हैं
कारनामे छपें सदा जिनके
वो कहें हम लिहाज़ वाले हैं
देश भर में अलापते फिरते
खोखले वो जो साज़ वाले हैं
काम यकदम करें भला कैसे
उनके ओहदे तो नाज़ वाले हैं
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आद० डॉ० आशुतोष मिश्रा जी , आपको गज़लें पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आपका बहुत बहुत आभार | सादर
आद० C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi जी , आपको गज़लें पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आपका बहुत बहुत आभार
आद० बृजेश कुमार 'ब्रज जी, आपको गज़लें पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आपका बहुत बहुत आभार |
मोहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ जी ,आपने ग़ज़ल के अशआर की गहराई में जाकर जो अपनी प्रतिक्रिया दी है उससे मैं बहुत अभिभूत हुई आपको गज़लें पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आपका बहुत बहुत आभार |
आद० सुरेन्द्र नाथ सिंह भैया ,आपको गज़लें पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आपका बहुत बहुत आभार |
आद० रवि भैया ,आपको गज़लें पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आपका बहुत बहुत आभार |
मोहतरम समर भाई जी,आपकी प्रतिक्रिया ने ग़ज़लों को सार्थक कर दिया दिल से बहुत बहुत आभार आपका |
आद० उस्मानी जी,आपको गज़लें पसंद आई ग़ज़ल के मर्म से अपनी सहमति जताई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आपका बहुत बहुत आभार |कुछ व्यवस्तता तथा नेट उपलब्ध न होने के कारण प्रतिक्रियाओं पर उत्तर देने में देरी हुई इसका खेद है |
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