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मंज़र खींचातानी का

मंज़र खींचातानी का

अनशन है बाबा जी का

 

राहुल बाबा गायब हैं

लगता सब फीका फीका

 

गायब है चालीस खरब

सवा अरब की कंट्री का

 

काला धन आये वापस

मुंह काला हो दोषी का

 

दस मारो और एक गिनो

नशा हिरन हो लोभी का

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Comment

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Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 7, 2011 at 9:36am
वीनस भाई खुबसूरत भाव के साथ कही गई और सटीक वार करती हुई ग़ज़ल है यह, बधाई आपको |
Comment by Rash Bihari Ravi on June 4, 2011 at 5:07pm

गायब है चालीस खरब

सवा अरब की कंट्री का

samachar me malum huaa 

ghar bhara hain mantri ka 

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