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(16 मात्राएँ)
कर्म करें तो बढ़ते सारे
बिना किये किस्मत भी हारे

रात चाँदनी और ये तारे
नहीं सुहाते बिना तुम्हारे

मजहब क्या दीवार है कोई
लिख डाले जो इतने नारे

रात अँधेरी से क्या डरना
हैं उम्मीदों के उजियारे

बीच भँवर में जीवन नैया
डोल रही,हैं दूर किनारे

खींचेगी फूलों की खुशबू
चलो देख कर काँटे प्यारे।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:30am
आदरणीय नीलेश जी,सादर हार्दिक आभार संग नमन!स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बना रहे!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:29am
आदरणीय नीलेश जी,सादर हार्दिक आभार संग नमन!स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बना रहे!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:29am
आदरणीय नीलेश जी,सादर हार्दिक आभार संग नमन!स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बना रहे!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:28am
आदरणीय नीलेश जी,सादर हार्दिक आभार संग नमन!स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बना रहे!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:26am
आदरणीय गिरिराज भंडारी सर,हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल आभार, सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:26am
आदरणीय गिरिराज भंडारी सर,हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल आभार, सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:26am
आदरणीय गिरिराज भंडारी सर,हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल आभार, सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:24am
आदरणीय समर कबीर जी,सादर हार्दिक आभार,यह स्नेह यूँ ही बनाए रखें!सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:23am
आदरणीय रवि शुक्ल सर सादर आभार संग नमन,स्नेह और मार्गदर्शन यूँ ही बना रहे!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 9, 2017 at 10:22am
आदर नरसिंह चौहान जी,सादर हार्दिक आभार संग नमन

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