For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही गजल
2122 2122 212

काफ़िया हमको मिला *अम* क्या करें
लाज़िमी कहनी ग़ज़ल हम क्या करें

सब दिवाने हैं दिखावे के यहाँ
और' हुनर के दाम हैं कम क्या करें?

रौशनी ने दी है दस्तक देख लो
पर खड़ा है फिर भी ये तम क्या करें

बुलबुलों ने छोड़े जब से घोंसले
टहनियों की आँख हैं नम क्या करें

पास है जो वो भी तो अपना नहीं
*जाने वाली चीज का गम क्या करें

बैठकर सब साथ गम थे बाँटते
सिलसिला वो अब गया थम क्या करें

मौलिक अप्रकाशित

Views: 850

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 18, 2017 at 8:21pm
आदरणीय रवि शुक्ल सर,प्रोत्साहन के लिए सादर आभार,सादर नमन!
Comment by Samar kabeer on April 18, 2017 at 8:01pm
अब ठीक है,मेरे कहे को मान देने के लिये धन्यवाद ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 18, 2017 at 7:23pm
आदरणीय नीलेश जी,सादर!प्रोत्साहन के लिए सादर हार्दिक आभार,नमन!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 18, 2017 at 7:23pm
आदरणीय नीलेश जी,सादर!प्रोत्साहन के लिए सादर हार्दिक आभार,नमन!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 18, 2017 at 7:23pm
आदरणीय नीलेश जी,सादर!प्रोत्साहन के लिए सादर हार्दिक आभार,नमन!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 18, 2017 at 7:23pm
आदरणीय नीलेश जी,सादर!प्रोत्साहन के लिए सादर हार्दिक आभार,नमन!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 18, 2017 at 7:21pm
आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी,सादर हार्दिक आभार प्रोत्साहन के लिए।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 18, 2017 at 6:56pm
आदरणीय समर कबीर जी सादर नमन!आप द्वारा प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन दोनों ही मेरे लिए अमूल्य हैं।सादर हार्दिक आभार।आपके मार्गदर्शन के अनुरूप परिमार्जन की कोशिश की है।कृपया पुनः नजरे इनायत हो जाए।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 18, 2017 at 6:56pm
आदरणीय समर कबीर जी सादर नमन!आप द्वारा प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन दोनों ही मेरे लिए अमूल्य हैं।सादर हार्दिक आभार।आपके मार्गदर्शन के अनुरूप परिमार्जन की कोशिश की है।कृपया पुनः नजरे इनायत हो जाए।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 18, 2017 at 6:55pm
आदरणीय समर कबीर जी सादर नमन!आप द्वारा प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन दोनों ही मेरे लिए अमूल्य हैं।सादर हार्दिक आभार।आपके मार्गदर्शन के अनुरूप परिमार्जन की कोशिश की है।कृपया पुनः नजरे इनायत हो जाए।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
15 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service