For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अट्टालिका पर अटका हुआ बयान

अट्टालिका पर अटका हुआ बयान
...........................
रतन टाटा ने मुकेश अम्बानी की उस शानदार अट्टालिका पर आश्चर्य व्यक्त किया,जिसमें वह सपरिवार रहते हैं और जिसकी कीमत इतनी है कि दस डिजिट के कैल्कुलेटर में भी न समाये.उन्होंने मुकेश अम्बानी को संवेदनशील बनने की सलाह देते हुए कहा कि अकूत धन सम्पदाधारी लोगों को जनसामान्य के  जीवन स्तर में सुधार के लिए कुछ न कुछ ज़रूर करना चाहिये.
रतन टाटा बाद में अपने बयान से यह कहते हुए मुकर गए कि उनके कहे को मीडिया ने तोडमरोड कर शरारतपूर्ण अंदाज़ में प्रस्तुत किया है.यही तो त्रासदी है कि जब तक मीडिया इन धन्ना सेठों की खबर मनमाफिक छापता रहे तब तक स्नेह का पात्र और खरी-खरी कह दी तो ताडन की अधिकारी.यह समय ऐसा ही है जहाँ पेशेवर मीडियाकर्मी और लाबियिस्ट की सीमारेखा धुंधला चुकी है.मेरे शहर में तो यह सीमारेखा सिरे से नदारद हुए अरसा हुआ.
रतन टाटा रिटायरमेंट में निहायत करीब हैं.उनके उत्तराधिकारी की खोज जोर-शोर से चल रही है.उनकी अवस्था ही अब ऐसी है जब आदमी स्वत: ही उपदेशक बन जाता है.एक पुरानी कहावत है कि हर आदमी  नदी के सुनसान किनारे पर,जलती चिता के करीब और रिटायरमेंट को नज़दीक पा कर दार्शनिक हो जाता है.वह भी इस कहावत का कोई  अपवाद नहीं हैं.यकीनन अब उन पर उपदेशक हावी है.पर उनके भीतर का उपदेशक यह भूल गया कि हर कार्य व्यापार के कुछ लिखित और अधिकांश अलिखित नियम होते हैं,जिनका पालन सभी को करना होता है.क्रिकेट का खेल गुल्ली डंडे के नियमों के तहत तो नहीं खेला जा सकता.कारपोरेट जगत में यदि शिखर पर बने रहना है तो अपनी धन सम्पदा का लगातार भव्य प्रदर्शन आवश्यक होता है.अम्बानी की अट्टालिका इसी नियम के तहत उनके वैभव की धवजावाहक है.
मेरे शहर के तमाम टाटाओं,अम्बानियों,लक्ष्मी मित्तलों,बिरलाओं,अज़ीम प्रेमजीयों को भी पता है कि धन सम्पदा का सार्वजानिक प्रदर्शन की क्या अहमियत होती है .विवाह समारोह से लेकर पोते के कर्णछेदन तक,गृह प्रवेश से लेकर पौत्र के नामकरण तक और अपने बर्थडे बैश ,मैरिज अनिवेरसिरी से लेकर घर के किसी बुजुर्ग के गुजर जाने पर आयोजित होने वाले मृत्यु भोज तक पर अपनी सम्पदा की चमक दिखाने का अवसर भला कौन चूकना चाहता है.कभी-कभी तो यह ही नहीं पता चलता कि यह मृत्यु भोज है या किसी पांच सितारा होटल का लंच.सारी व्यवस्था एकदम चाक चौबंद रहती है.वातावरण में किसी अन्य मांगलिक कार्यक्रम जैसा उत्साह.सच तो यह है कि यदि आप संपन्न हैं तो उसकी चकाचौंध सबको दिखनी भी चाहिए. अब जंगल के एकांत में नाचने वाला  मोर नहीं,अपनी सरेबाजार नृत्यकला का प्रदर्शन करने का दमखम रखने वाले  मोरों की प्रसांगिकता रह गई है.
रतन टाटा अब व्यवसाय की मुख्य धारा से बाहर होने के करीब हैं.उनकी स्थिति अब क्रिकेट के उस भूतपूर्व खिलाड़ी जैसी है जो साइड लाइन पर पर खड़ा रह कर अपने बेतुके से खेल में शामिल खिलाडियों को बेवजह चिढ़ाया करता है.अम्बानी की अट्टालिका पर अटका रतन टाटा का यह बयान उस फटी हुई पतंग जैसा है ,जिसका शायद ही कोई तलबगार हो.











Views: 377

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 28, 2011 at 5:49pm

निर्मल गुप्त जी, व्यंगात्मक शैली भले ही हो पर कही न कही यह सत्यता के काफी नजदीक है, आप का यह भी कथन कि "एक पुरानी कहावत है कि हर आदमी  नदी के सुनसान किनारे पर,जलती चिता के करीब और रिटायरमेंट को नज़दीक पा कर दार्शनिक हो जाता है" बिलकुल सत्य और इस आलेख में उल्लेख करना आवश्यक ही है |

कटु सत्य और खरी खरी कहने हेतु धन्यवाद आपको |  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
21 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
22 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
22 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
23 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service