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मैं भी गलती करता हूँ (तरही गजल)

बह्र 22 22 22 2

हाड़ मास का पुतला हूँ
मैं भी गलती करता हूँ ||

बच्चों को फुसलाने में
दिल रोये पर हँसता हूँ ||

जाति धर्म के बीच फँसी
लोक तंत्र की जनता हूँ||

सीख न पाया मैं लहजा
यूँ तो ग़ज़लें कहता हूँ ||

जीवन नश्वर है फिर भी
आशाओं पर जीता हूँ ||

अंक गणित सा जीवन है
गुणा भाग में उलझा हूँ ||

साथ लिए  इक ख़ालीपन
"अपनी धुन में रहता हूँ ||"


(मौलिक व अप्रकाशित)'₹

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Comment by Neelam Upadhyaya on February 21, 2017 at 4:28pm

जीवन नश्वर है फिर भी
आशाओं पर जीता हूँ ||

अंक गणित सा जीवन है
गुणा भाग में उलझा हूँ ||

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी, बहुत ही सुंदर – जिंदगी का सच यही है । नश्वर होना जानते हुये भी जीवन का गणित जारी रहता है  – बधाई स्वीकार करें।

Comment by नाथ सोनांचली on February 21, 2017 at 4:23pm
आदरणीय गुरप्रीत जी सादर आभार,
Comment by नाथ सोनांचली on February 21, 2017 at 4:23pm
आदरणीय रामाश्रय जी सादर आभार, हौसला अफजाई के लिए
Comment by नाथ सोनांचली on February 21, 2017 at 4:22pm
आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी सादर आभार
Comment by नाथ सोनांचली on February 21, 2017 at 4:21pm
आदरणीय गुरप्रीत जी सादर आभार,
Comment by नाथ सोनांचली on February 21, 2017 at 4:20pm
आदरणीय गुरप्रीत जी सादर आभार,
Comment by Ram Ashery on February 21, 2017 at 3:17pm

बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति है जीवन में रस घोलती आपकी यह रचना समाज में चेतना का संचार करती है आपको बहुत बहुत बधाई स्वीकार हो 

Comment by नाथ सोनांचली on February 21, 2017 at 2:53pm
आद0 समर कबीर साहब आपके आशीष का प्रतिफल है। आभार आपका
Comment by नाथ सोनांचली on February 21, 2017 at 2:52pm
आदरणीय शिज्जू शकूर जी हौसला अफजाई के लिए दिल से आभार
Comment by नाथ सोनांचली on February 21, 2017 at 2:51pm
आदरणीय शिज्जू शकूर जी हौसला अफजाई के लिए दिल से आभार

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