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ग़ज़ल - तू वो ही है , जो सच में है तेरे अंदर ( गिरिराज भंडारी )

1222    1222    1222   

उसे कह दो जहाँ हूँ मैं वहाँ समझे

ज़मीं हूँ मैं, न मुझको आसमाँ समझे

 

हो किससे गुफ़्तगू इस दश्ते वीराँ में

कोई तो हो, जो मेरी भी ज़बाँ समझे

 

हक़ीक़त आशना है क्यूँ भला वो भी

है राहे संग उसको कहकशाँ समझे

 

छिनी रोटी तो छायी बद हवासी है

मुझे मयख़्वार क्यूँ सारा जहाँ समझे

 

मुहज़्ज़ब जो दबा लेता है नफरत, को

सही समझे अगर, आतिशफ़िशाँ समझे 

 

तू वो ही है , जो सच में है तेरे अंदर 

तू वो भी है, जो तुझको ये जहाँ समझे

 

परिन्दा एक देखो ज़िद पे बैठा है      

कफस के दायरे को आसमाँ समझे

 

हरारत धूप सी देने लगा है वो 
जिये अब तक, जिसे हम सायबाँ समझे

 

पराये भी समझने का किये दावा

मगर है सच, कि अपने भी कहाँ समझे 

 

समय का आखिरी सफ़हा ये कह देगा

वो फ़ानी था जिसे तुम जाविदाँ समझे

************************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 24, 2016 at 7:48pm

तू वो ही है , जो सच में है तेरे अंदर 

तू वो भी है, जो तुझको ये जहाँ समझे-----वाह्ह्ह्हह वाह 

 

परिन्दा एक देखो ज़िद पे बैठा है      

कफस के दायरे को आसमाँ समझे----क्या कहने लाजबाब 

पराये भी समझने का किये दावा

मगर है सच, कि अपने भी कहाँ समझे ----बहुत उम्दा 

बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई है आद० गिरिराज जी दिल से बधाई लीजिये 

 

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on November 24, 2016 at 4:28pm
आदरणीय गीरीराज भाई सुंदर गजल की हार्दिक बधाई कबूल फरमाएं। शेर दर शेर अच्छी गजल हुई है।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 23, 2016 at 10:22pm

आदरणीय कालीपद भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 23, 2016 at 10:21pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 23, 2016 at 10:21pm

आदरनीय तस्दीक भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 23, 2016 at 10:20pm

आदरनीय मिथिलेश भाई , गज़ल की मुखर सराहना के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 23, 2016 at 10:19pm

आदरणीय समर  भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 23, 2016 at 10:19pm

आदरणीय सुनील सरना भाई , सराहना के लिये आपका हृदय से आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 23, 2016 at 10:18pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ भाई , हौसला अफज़ाई का शुक्रिया ।

Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 23, 2016 at 10:15pm

बहुत उम्दा गाज़ल आदरणीय गिरिराज जी 

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