For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भारत में हर मास में, होता इक त्यौहार

केवल सावन मास है, पर्वों से भरमार |1|

 

रस्सी बांधे साख में,  झूला झूले नार

रिमझिम रिमझिम वृष्टि में, है आनन्द अपार |२|

 

जितने हैं गहने सभी, पहन कर अलंकार

साथ हरी सब चूड़ियाँ, बहू करे श्रृंगार |३|

 

काजल बिन्दी साड़ियाँ, माथे का सिन्दूर

और देश में ये नहीं, सब हैं इन से दूर |४|

 

कभी तेज धीरे कभी, कभी मूसलाधार

सावन में लगती झड़ी, घर द्वार अन्धकार |५|

 

दीखता रवि कभी कभी, जब है सावन मास

बहुत नहीं है रौशनी, मिलता नहीं उजास |६|

 

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1082

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kalipad Prasad Mandal on August 9, 2016 at 6:03am

आपका आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी ! आपको पसन्द आया जानकर प्रेरणा मिली |

सादर  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 7, 2016 at 7:23pm

बहुत बढ़िया प्रयास हुआ दोहों पर सम सामयिक दोहे ..हार्दिक बधाई आद० कालिपद प्रसाद जी |

Comment by Kalipad Prasad Mandal on August 6, 2016 at 7:28pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी,उत्साह वर्धन के लिए  हृदयातल से आभारी हूँ | छन्द के बारे में जो कुछ जाना आप ही के "छन्द विधान" से जाना | कृपया आगे भी मार्ग दर्शन करते रहिये | आश्विन मास के बारे में सोचा नहीं था | देखूँगा |

सादर  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 6, 2016 at 2:05pm

आपकी कोशिश के लिए हृदयतल से बधाइयाँ. 

पहले दोहे की तार्किकता तनिक शंका के घेरे में है. क्या आश्विन मास को देखा गया है कि वह अपनी गोद  में कितने पर्व-त्यौहारो को समेटे हुए है ? .. :-))

बहरहाल, आपकी कोशिश बनी रहे. इस हेतु पुनः मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
11 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service