For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गोली (लघुकथा)राहिला

उसके अब्बा को खानदान में ही बेटी ब्याहनें की जाने कैसी सनक सवार हुई,कि अपने भतीजे से शादी के फरमान की गोली मेरे सीने में दागकर, मेरी और शब्बो की मुहब्बत का जनाज़ा निकाल दिया ।इसके बाद मैंने शहर ही छोड़ दिया और पूरे तीन साल बाद आज जब बस अड्डे पर उतरा तो उसे पूरे साजो सामान और एक छोटे से बच्चे के साथ सामने खड़ा पाकर यूं लगा जैसे किसी ने फिर दिल पर गोली दाग दी हो।मैं लड़खड़ा सा गया और जाने कब, कैसे उसके पास पहुँच गया पता नहीं ।शायद वो मेरी कैफियत समझ गई थी । तभी उसका शौहर रिक्शा लेकर आ पहुंचा । मैं कुछ कहता इससे पहले वो अपने शौहर से बोली -"रज्जाक! ये हमारे पड़ोसी जलील मियाँ!,और बेटा बंटी! मामू को सलाम करो जल्दी से "
ठाँय...पास से गुजर रही बारात में किसी कम्बख्त ने गोली छोड़ी ।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 794

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on March 23, 2016 at 11:25am
बहुत शुक्रिया आदरणीय परवेज साहब! आपको रचना पसंद आई तो लगा लिखना सार्थक हुआ । सादर आभार
Comment by Parvez khan on March 23, 2016 at 11:00am
बहुत ही खूबसूरत रचना है बक्त के साथ बदलते रिश्ते फिर एक न भरने वाला जख्म ।मुबारक आपको
Comment by Rahila on March 15, 2016 at 8:09pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय चंद्रेश सर जी!आपकी इतनी सुन्दर टिप्पणी पा कर बेहद प्रसन्न हूं । बहुत आभार, रचना पर आपकी नजर तो पड़ी ।सादर नमन
Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on March 15, 2016 at 5:01pm

वाह आदरणीया राहिला जी, परिस्थिति आने पर कैसे अपने मस्तिष्क का प्रयोग कर मजबूर में ही सही पर किसे क्या बताया जाता है, इस सच को आपकी यह लघुकथा पूरी तरह समेटे है| इस रचना के सृजन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें|

Comment by Rahila on March 15, 2016 at 2:06pm
बहुत -बहुत आभार आदरणीय विजय सर जी! आपने रचना के मर्म को समझा और खूबसूरत टिप्पणी से रचना को नवाजा बहुत शुक्रिया । सादर नमन
Comment by vijay nikore on March 15, 2016 at 1:42pm

रिश्तों के बदलाव का चित्रण ... हृदय विदारक।

अति मार्मिक, अति सुन्दर लघु कथा। हार्दिक बधाई।

Comment by Rahila on March 15, 2016 at 12:45pm
आदरणीय राम शर्मा सर जी! बहुत शुक्रिया आपका जो रचना से आप संतुष्ट हुये । आपकी उपस्थित मेरे लेखन को सार्थक कर गई । सादर
Comment by Ram Sharma on March 15, 2016 at 11:48am

पहली दो पंक्तियाँ पढ़ीं तो लगा कि कहीं कालखंड तो नहीं आ गया, लेकिन आखिरी तक आते आते लघुकथा ने संतुष्टि दे दी.. बधाई  जी  आपको

Comment by Rahila on March 15, 2016 at 10:51am
बहुत आभार आदरणीय मुखर्जी सर! आपकी नजर रचना पर पड़ी मेरे लिये अत्यंत खुशी की बात हुई । सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on March 15, 2016 at 3:18am
वाह आदरणीया. गोली की गति और आवाज़ दोनों ने दिल और मस्तिष्क को छूआ...खूब छूआ. सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service