For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज़रूरतें,अपनी-अपनी(लघुकथा)

शूटिंग की तैयारी थी।सेट लग चुका था, बस निर्देशक महोदय के आने की प्रतीक्षा थी। उनके आते ही सब सचेत हो उठे।
“सब रेडी है?”आते ही अपने असिस्टेंट से पूछा।
“जी सर!” उसने मुस्तैदी से उत्तर दिया।
“एक बार सीन ब्रीफ करो।”
“जी, सीन है, माँ-बाप का लाड़ला बेटा रूठ गया है, तो माता पिता तरह-तरह की खाने पीने की चीज़े लाकर उसको मना रहे हैं और बच्चा गुस्से में फेंक रहा है।”
“और वो बाल कलाकार उसका क्या हुआ? अस्पताल से छुट्टी मिल गई ?”
“नहीं सर,पर दूसरे बच्चे का इंतजाम कर लिया है, यहीं पास की बस्ती से अरेंज किया है। सिर्फ दो सीन हैं बच्चे के। दो सौ रुपए रोज़ पर बुलाया है।”
“काम कर सकेगा?”
“जी सर, मैंने सब समझ दिया है।’
“ओके! चलो फिर, लाइट, कैमरा… एक्शन!
“कट, कट, कट!”
“हाथ से रखना नहीं है, उठाकर फेंकना हैं,” असिस्टेंट ने झुंझलाहट काबू करते हुए कहा, “पहले केक और पेस्ट्री हाथ मार कर दूर गिराओ, फिर दूध का गिलास गिरा दो। ठीक?”
“चलो, फिर से,” डायरेक्टर ने खीज के कहा, “एक्शन!”
“ओहो! कट! कट! कट! अबे तुझको समझाया था ना? फेंक दे, नीचे गिरा दे! ये इतना संभाल कर क्यों रख रहा है?”
बच्चे ने सुबकते हुए कहा, “उन अंकल ने कहा था शूटिंग के बाद खाने का सारा सामान मैं घर ले जा सकता हूँ।”
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 451

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Seema Singh on February 26, 2016 at 9:08am
आभार आप सभी का,प्रतिभा दीदी,राहिला जी,नीता जी,मनन जी एवं शहज़ाद भाई।
Comment by pratibha pande on February 22, 2016 at 1:02pm

  बहुत अच्छी रचना , कहीं मिन्नतें और कहीं  लाचारी , सधे हुए ढंग से कथ्य संप्रेषित हुआ है ,बधाई सीमा जी 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 22, 2016 at 12:57pm
'बड़े' होते 'बच्चे' के मनोविज्ञान को ही नहीं बल्कि एक वर्ग विशेष के सार्थक मनोविज्ञान को बख़ूबी प्रतिबिम्बित करती बेहतरीन रचना के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया सीमा सिंह जी।
Comment by Nita Kasar on February 20, 2016 at 2:43pm
बच्चा क्या जाने उसे बहलाकर काम निकाला जा रहा है ।उसे यही पता है सब सामान घर ले जा सकता है ।बाल मन की व्यथा की प्रस्तुति के लिये बधाई आद०सीमा सिंह जी ।
Comment by Manan Kumar singh on February 19, 2016 at 5:11pm
अच्छा चित्रण
Comment by Rahila on February 19, 2016 at 4:09pm
ओह...बहुत अच्छी प्रस्तुति आदरणीया सीमा जी!पढ़कर उस बच्चे की मनोदशा आंखों में झूल गई । सादर बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।।"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लेखन के विपरित वातावरण में इतना और ऐसा ही लिख सका।…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service