For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घटायें(गजल)
2212 2212 2212
उड़ती घटायें आ चली जातीं कभी,
बरसीं नहीं,ना देख नहलातीं कभी।
चक्कर चलाती हैं हवा के संग वे,
रूप पर उछलतीं खूब इतरातीं कभी।
घूमीं घटायें घात में, बेबाक कब?
रहतीं सदा उड़ती कहीं जातीं कभी।
तू तो रहा उम्मीद पाले बूँद की,
आँखें तरस जातीं,घटा भाती कभी।
बदलीं घटायें बार कितनी कह सकोगे?
बदली भिंगोती प्यार ले छाती कभी।
तूने कहा सुन लो घटाओ पास आ,
बेख़ौफ़ यूँ उड़ती ठहर पाती कभी!
रूप की उड़ी पाती घटायें हैं सही,
भरतीं कहीं वे नेह नहलातीं कभी!
"मौलिक व अप्रकाशित"@मनन

Views: 518

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on August 23, 2015 at 10:21am
आदरणीय गोपल भाई,मेरे प्रयास को प्रेरणा देने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद ज्ञापित है।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 22, 2015 at 5:47pm

आ०  मनन जी

अच्छी गजल के लिए बधाई .

Comment by Manan Kumar singh on August 20, 2015 at 7:02am
श्रद्धेय गिरिराज भाई नमन!देखकर सुधर करता हूँ।
Comment by Manan Kumar singh on August 20, 2015 at 7:01am
आदरणीय मिथिलेश जी,बहुत आभार आपका
Comment by Manan Kumar singh on August 20, 2015 at 7:00am
आदरणीया कांता जी आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 20, 2015 at 6:48am

आदरणीय मनन भाई , बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

अंतिम शेर मे आपने - रूप की पात्रा 2 ली है  , जबकि  रूप की मात्रा - 21 लेनी चाहिये , इस लिहाज़ से वो मिसरा बेबह्र लग रहा है ,एक बार और  सोच लीजियेगा ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 18, 2015 at 2:22pm

इस ग़ज़ल की प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई आदरणीय मनन जी 

Comment by kanta roy on August 18, 2015 at 8:25am
वाह !!! बढिया गजल हुई है आदरणीय मनन कुमार जी । बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लेखन के विपरित वातावरण में इतना और ऐसा ही लिख सका।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"उड़ने की चाह आदत भी बन जाती है।और जिन्हें उड़ना आता हो,उनके बारे में कहना ही क्या? पालो, खुद में…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service