For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अँधेरा जमीं पे

प्‍यार करना न अब तुम सिखाना मुझे

पास फिर से बुला मत जलाना मुझे

जिन्दगी बेवफाई करे भी तो क्‍या

मौत को रूठने से मनाना मुझे।

चार कन्धे चढ़े वो चले जा रहे।

कुछ नहीं पास उनके दिखाना मुझे।

वो नहीं है किया प्‍यार जिससे कभी

याद उसकी न यारो दिलाना मुझे

मैं मनाता नही कोई उत्‍सव मगर

दीप दिल से जले तो बताना मुझे

हर तरफ जो अँधेरा जमीं पे अभी

जान दे भी उसे है मिटाना मुझे

रात भर अश्‍क गम में बहे क्‍यों सनम

दोस्‍त को अब है दुश्‍मन बनाना मुझे

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी

Views: 397

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 13, 2015 at 9:29am

बहुत बढ़िया गहमरी जी . बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 13, 2015 at 9:03am

दीप दिल से जले तो बताना मुझे

हर तरफ जो अँधेरा जमीं पे अभी   , बहुत सुन्दर  !! आदरणीय अखंड भाई , बढिया ग़ज़ल हुई है , बधाइयाँ ॥

Comment by Akhand Gahmari on July 12, 2015 at 12:34pm

विस्‍तृत समीक्षा मे लिए आपको नमन आदणीय मिथिलेस वामनकर जी आपके बताये मार्ग पर चलने का पूरा प्रयास करेगें। नमन स्‍वीकार करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 12, 2015 at 12:47am

आदरणीय अखंड जी सरल सहज लफ्जों में प्रेम की बेहतरीन और शानदार ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद हाज़िर है-

प्‍यार करना न अब तुम सिखाना मुझे

पास फिर से बुला मत जलाना मुझे........... सुन्दर मतला 

जिन्दगी बेवफाई करे भी तो क्‍या

मौत को रूठने से मनाना मुझे।........... बहुत ही कमाल का शेर 

चार कन्धे चढ़े वो चले जा रहे

कुछ नहीं पास उनके दिखाना मुझे।............ बात खुल कर सामने नहीं आ रही है 

वो नहीं है किया प्‍यार जिससे कभी

याद उसकी न यारो दिलाना मुझे।.......... बहुत बढ़िया 

मैं मनाता नही कोई उत्‍सव मगर

दीप दिल से जले तो बताना मुझे।............वाह वाह बेहतरीन 

हर तरफ जो अँधेरा जमीं पे अभी

जान दे भी उसे है मिटाना मुझे।.............. बहुत ही बढ़िया शेर .... शानदार .... 

रात भर अश्‍क गम में बहे क्‍यों सनम

दोस्‍त को अब है दुश्‍मन बनाना मुझे।..... दुश्मन क्यों बनाना है बात समझ नहीं आई 

निवेदन है बह्र या वज्न अवश्य लिख दिया कीजिये मंच की परिपाटी भी है और पाठको को भी ग़ज़ल का पूरा लुत्फ़ मिल जाता है 

वज्न- 212--212--212--212

सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service