For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक ताज़ा ग़ज़ल: निर्मल नदीम

ज़िन्दगी की राह में इसके सिवा कुछ भी नहीं।
आदमी को सूझता अच्छा बुरा कुछ भी नहीं।

वो नुमाइश का चला है दौर जिसके सामने
अहल ए दिल कुछ भी नहीं अहले वफ़ा कुछ भी नहीं।

वक़्त यूँ खामोशियों की तर्जुमानी कर गया,
उसने सब कुछ सुन लिया मैंने कहा कुछ भी नहीं।

बेरुखी की हद से आगे की थी उसकी बेरुखी
मैंने पूछा- क्या हुआ, उसने कहा- कुछ भी नहीं।

हर क़दम पर तुमने मेरे इश्क़ को रुस्वा किया
फिर भी मेरे दिल में है शिक़वा गिला कुछ भी नहीं।

मैंने सारा ज़हर नफ़रत का ख़ुशी से पी लिया
देख लो फिर इसके आगे क्या हुआ, कुछ भी नहीं।

इक तुम्हारी जुस्तजू में सारी दुनिया घूम ली
बस तुम्हारे ही सिवा देखा सुना कुछ भी नहीं।

इश्क़ करने का कोई इल्जाम मेरे सर न दो
दिल ने मुझसे था कहा मैंने किया कुछ भी नहीं।

आजकल के दौर में ऐसा ही देखा है जनाब
बस दवा ही कारगर है और दुआ कुछ भी नहीं।

इश्क़ क्या है सिर्फ अपनी जाँ का सदक़ा है नदीम
और इसके बाद अपना सोचना कुछ भी नहीं।

अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन

निर्मल नदीम (मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 755

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 26, 2015 at 12:35am

इस ज़मीन की ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाइयाँ. आपकी मेहनत रंग लायेगी.. 

शुभेच्छाएँ

Comment by Nirmal Nadeem on May 17, 2015 at 12:15pm
आ नीलेश सर। आपकी बातों का ख़याल करूँगा। भाई मिथिलेश जी ये एक संयोग हो गया है। अल्लाह का शुक्र है कि चरबा नहीं हुआ।
Comment by Nirmal Nadeem on May 17, 2015 at 12:13pm
आप सब का मशकूर ओ ममनून हूँ। अल्लाह खुश रखे।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 16, 2015 at 9:45am

वक़्त यूँ खामोशियों की तर्जुमानी कर गया,
उसने सब कुछ सुन लिया मैंने कहा कुछ भी नहीं।

आजकल के दौर में ऐसा ही देखा है जनाब
बस दवा ही कारगर है और दुआ कुछ भी नहीं। -- आदरणीय पूरी गज़ल बहुत शानदार कही है , दिल से बदाइयाँ स्वीकार करें । ऊपर के दो शे र मुउझे खूब पसंद आये ! हार्दिक बधाई आपको ।

Comment by Hari Prakash Dubey on May 16, 2015 at 9:41am

इश्क़ करने का कोई इल्जाम मेरे सर न दो
दिल ने मुझसे था कहा मैंने किया कुछ भी नहीं।.....बहूत खूब  आ. निर्मल नदीम जी , हार्दिक बधाई  आपको इस  रचना पर ! सादर 

Comment by वीनस केसरी on May 16, 2015 at 1:15am

वाह वा
एक एक शेर कीमती है भाई जी
दिल खुश कर दिया
बेपनाह खूबसूरत ग़ज़ल हुई है

Comment by Samar kabeer on May 15, 2015 at 10:59am
जनाब निर्मल नदीम जी ,आदाब,पहली बार आपकी ग़ज़ल से रू ब रू हुवा हूँ ,बहुत ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने भाई ,सुनकर दिल बाग़ बाग़ हो गया ,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 15, 2015 at 1:52am

आदरणीय निर्मल भाई जी बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है दाद कुबूल फरमाएं 

आदरणीय निलेश जी की बातों से मैं भी सहमत हूँ. इब्तदा से एक गाफ़ कम करने से बह्र-ए-रजज़ बदलकर बह्र-ए-रमल तो हो गया मगर जनाब बशीर बद्र साहब और महान गायक जगजीत सिंह भुलाए नहीं भूलते.

सादर.

Comment by shree suneel on May 14, 2015 at 9:43pm
आदरणीय निर्मल जी, इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिये हार्दिक बधाई आपको.
Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 14, 2015 at 3:06pm

आदरणीय नदीम जी ..इस ग़ज़ल को गुनगुनाने में बाद सुकून मिला ..हर शेर उम्दा ..काबिले तारीफ़ इस ग़ज़ल के ढेरों मुबारक बाद सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय नीलेश जी "समझ कम" ऐसा न कहें आप से साहित्यकारों से सदैव ही कुछ न कुछ सीखने को मिल…"
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय गिरिराज जी सदैव आपके स्नेह और उत्साहवर्धन को पाकर मन प्रसन्न होता है। आप बड़ो से मैं पूर्णतया…"
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना की विस्तृत समीक्षा के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार व्यक्त करता हूँ।…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. बृजेश जी मुझे गीतों की समझ कम है इसलिए मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लीजियेगा.कृष्ण से पहले भी…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. रवि जी ,मिसरा यूँ पढ़ें .सुन ऐ रावण! तेरा बचना है मुश्किल.. अलिफ़ वस्ल से काम हो…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. रवि जी,ग़ज़ल तक आने और उत्साह वर्धन का धन्यवाद ..ऐ पर आपसे सहमत हूँ ..कुछ सोचता हूँ…"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अनुज बृजेश , प्रेम - बिछोह के दर्द  केंदित बढ़िया गीत रचना हुई है , हार्दिक बधाई आदरणीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई  ग़ज़ल पर उपस्थिति  हो  उत्साह वर्धन  करने के लिए आपका…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश ,  ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभार , मेरी कोशिश हिन्दी शब्दों की उपयोग करने की…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय अजय भाई ,  ग़ज़ल पर उपस्थिति हो  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आपका आभार "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service