बिहार दिवस के उपलक्ष्य पर ऐतिहासिक गांधी मैदान प्रदेश की सांस्कृतिक, धार्मिक, शैक्षणिक एवं ऐतिहासिक विरासत की झलक अगले तीन दिनों तक दिखेगी। सचिवालय, पावापुरी जल मंदिर, राजगीर का बौद्ध स्तूप, बोधगया का महाबोधि मंदिर का प्रतिरूप बन कर तैयार है। समारोह स्थल के ठीक सामने पावापुरी का जल मंदिर है। सर्वधर्म समभाव के रूप में यहां मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे बनाये गये हैं। मंदिर में मार्यादा पुरुषोत्तम राम होंगे, मस्जिद में मजार, गुरुद्वारे में गुरु गोविंद सिंह एवं चर्च में ईसा मसीह विराजमान होंगे। इन चारों के बीच में महात्मा बुद्ध की नौ फुट की प्रतिमा स्थापित की गयी है। समारोह में नालंदा के खंडहर, सात शहीद व अन्य कई एतिहासिक धरोहरों को भी पेंटिंग के माध्यम से प्रदर्शित किया जायेगा। पश्चिमोत्तर भाग में बिहार की ऐतिहासिक झांकी दिखाने के लिए एक गैलरी होगी, जिसमें गुफा से प्रवेश होगा। यह गुफा भव्य तरीके से तैयार किया जा रहा है। इस परिसर में चंद्रगुप्त, अजातशत्रु व शेरशाह की सात-सात फुट ऊंची मूर्ति भी लगेगी। इसके लिए किलकारी के बच्चों के लिए कमल फूल की आकृति लिए मंच बनाया जा रहा है, जिस पर छोटे-छोटे बच्चे तीन दिनों तक अपना कार्यक्रम पेश करेंगे। समारोह स्थल पर शहीद स्मारक, वैशाली स्तूप, मधुबनी पेंटिंग, पटना कलम शैली, आर्यभट्ट नगर, तारेगना, नालंदा व विक्रमशिला विश्वविद्यालय के अलावा सम्राट अशोक, डा. राजेन्द्र प्रसाद, डा. सच्चिदानंद सिन्हा, भिखारी ठाकुर, रामधारी सिंह दिनकर, फणीश्वर नाथ रेणु, नागार्जुन, शिवपूजन सहाय आदि को कटआउट, पोस्टर व प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाया जायेगा।
रविवार को कमल के आकृति के मंच पर बच्चों एवं कलाकारों ने फाइनल रिहर्सल किया। बिहार दिवस के गवाह बनाने की हसरत के संग बिहार पहुंचे कई विदेशी मेहमान आज ही गांधी मैदान पहुंच गये। बच्चों को रिहर्सल करते देखकर वे खुद नहीं रोक सके और थिरकने लगे। कई पदाधिकारी सुबह से ही गांधी मैदान में मोर्चा संभाल लिये थे और समारोह की तैयारी लेने में व्यस्त रहे।
इस अवसर पर कई पुस्तकों का भी विमोचन हुआ
पटना बिहार दिवस के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई पुस्तकों व स्मारिका का विमोचन किया। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की स्मारिका का भी विमोचन किया गया। स्मारिका में बिहार के इतिहास व बिहार की विभूतियों का जिक्र है। इसके अतिरिक्त एक पुस्तक बिहार की बेटियां का भी मुख्यमंत्री ने विमोचन किया। इस पुस्तक में बिहार की वैसी बीस मेधावी लड़कियों का जिक्र है जिन्होंने आदर्श स्थापित किए हैं। वहीं कला संस्कृति विभाग द्वारा तैयार पुस्तक पटना ए मान्यूमेंटल हिस्ट्री के अंतरराष्ट्रीय संस्करण का भी मुख्यमंत्री ने विमोचन किया। मानव संसाधन विकास विभाग की पुस्तिका 'सबला' का भी इस अवसर पर विमोचन हुआ
सोमवार की देर शाम गांधी मैदान में आयोजित 'बिहार दिवस' समारोह में उमड़े जनसैलाब में उमंग व जोश परवान पर रहा। 'अपना बिहार, बढ़ता बिहार' के अहसास में डूबे लोगों ने जश्न का आनंद लिया।
प्रदेश के गौरवशाली वैभव को समेटे 'बिहार गौरव' गान की बेहद आकर्षक झांकी से सांगीतिक समारोह का आगाज कुछ इस तरह हुआ कि मंच के सामने बैठे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मंत्रमुग्ध हो उठे। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, जल संसाधन मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री अश्विनी चौबे, मानव संसाधन विकास मंत्री हरि नारायण सिंह, बिहार विधान परिषद में सत्तापक्ष के नेता गंगा प्रसाद, सांसद शिवानंद तिवारी और सांसद अनिल सहनी समेत दर्जनों विधायकों व विधान पार्षदों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लिया। मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह और कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के सचिव विवेक कुमार सिंह के दिशा-निर्देशन में सांस्कृतिक समारोह का आयोजन यादगार बन गया। समारोह में सपरिवार आए लोगों से देर शाम रात तक गांधी मैदान गुलजार रहा। विशेषकर, युवाओं में तो जोश और उमंग देखने लायक था।
'.. महका-महका सोंधी माटी का बिहार है'
समारोह में प्रसिद्ध साहित्यकार डा. शांति जैन लिखित 'बिहार गौरव' गान में प्रदेश का इतिहास और सांस्कृतिक वैभव को बड़े ही खूबसूरत एवं प्रेरक अंदाज में पेश किया गया। जिसके बोल हैं-'दिशा-दिशा में लोक रंग का तार-तार है, महका-महका सोंधी माटी का बिहार है..।' सीताराम सिंह का संगीत निर्देशन और सोमा चक्रवर्ती का नृत्य संयोजन में 'बिहार गौरव' गान की प्रस्तुति में कलाकारों ने अपने शानदार लोकनृत्य शैली से दर्शकों का दिल जीत लिया। विजय कुमार मिश्र और जितेन्द्र चौरसिया ने नृत्य प्रस्तुति में सहयोग किया। कलाकारों में हरिकृष्ण सिंह मुन्ना, कुमार उदय सिंह, काकोली घोष, रश्मि, सोनाली, धीरज, निर्मल और प्रेरणा मिश्रा समेत कलाकारों ने हिस्सा लिया। सांगीतिक कार्यक्रम की प्रभारी विभा सिन्हा रहीं।
सूफी गायन में सद्भाव का संदेश
सांगीतिक समारोह में 'सूफी गायन' की प्रस्तुति से साम्प्रदायिक सद्भाव का संदेश दिया गया। सूफी गायन के क्षेत्र में सूबे के प्रतिभाशाली कलाकार राजू मिश्रा ने अपने साथी कलाकारों के साथ अमीर खुसरो के कलाम 'आज रंग है, आज रंग है..' से की। खासकर, प्रसिद्ध संगीतकार बृजबिहारी मिश्र का संगीत निर्देशन भी कर्णप्रिय रहा।
'उठो सहेली, घूंघट खोलो, नया सबेरा आया है'
महिला कामाख्या द्वारा संचालित महिला शिक्षण केन्द्र, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर और गया के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों से चयनित 51 लड़कियों की टोली ने प्रेरक गीत- 'उठो सहेली, घूंघट खोलो, नया सबेरा आया है, सूर्य ने बांहें फैलाकर, हमको आज बुलाया है..।' की शानदार झांकी पेश की। इस प्रेरणादायक गीत में नारी सशक्तिकरण और लड़कियों में शिक्षा के प्रति बढ़ती रूचि के अलावा महिलाओं के सर्वागीण विकास को बड़े ही खूबसूरत अंदाज में पेश किया गया। जितेन्द्र कुमार और विजय प्रकाश मिश्र ने गीत व नृत्य का संयोजन किया जबकि गीत डा. शांति जैन का है। सीताराम सिंह ने संगीत निर्देशन किया।
बच्चों ने पेश किया-'मैं बिहार हूं'
किलकारी संस्था के बच्चों ने श्रीकांत लिखित एवं रविभूषण निर्देशित 'मैं बिहार हूं' की नाट्य प्रस्तुति की। प्रस्तुति में दीपक, रवि, प्रकाश, कुन्दन, ब्रजेश, पंकज राय, दिवाकर कुमार, रवि शंकर, ज्योति, लवली, रीना, संजू, गुड़िया, सुजाता, दीपेश और पूजा ने हिस्सा लिया। सांस्कृतिक समारोह का संचालन डा. सोनी, अश्विनी अभिषेक, कालेश्वर ओझा, अभिमन्यु प्रसाद मौर्य और हृदय नारायण झा ने किया।
बिहार का इतिहास स्कुलो में पढाया जायेगा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्थानीय गांधी मैदान में आयोजित तीन दिवसीय बिहार दिवस समारोह के उद्घाटन के मौके पर रविवार को कहा कि हमें बिहारी पहचान की बड़ी रेखा खींचनी है। जिस दिन बिहार के लोग मन से बिहारी बन जाएंगे, दुनिया की कोई भी ताकत इस राज्य को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकेगी। बिहार हेय दृष्टि से देखा जाये यह हमें बर्दाश्त नहीं। बिहार का इतिहास सभ्यता के विकास की कहानी है। नयी पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास से जोड़ने की जरूरत है। उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री ने यह एलान किया कि अब बिहार के गठन का इतिहास स्कूलों में पढ़ाया जायेगा। कक्षा छह से आठ तक की लड़कियों को स्कूलों में जूडो-कराटे का प्रशिक्षण दिया जायेगा। प्रशिक्षण हासिल कर चुकीं लड़कियों को ही ट्रेनिंग देने के काम में लगाया जायेगा। इस कार्य के लिए उन्हें दो हजार रुपये मासिक का मानदेय भी मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सिर्फ बिहारी बन जाएं, हमारी विकास दर 15 प्रतिशत तक पहुंच जायेगी और 2015 तक बिहार विकसित प्रदेश के रूप में स्थापित हो जायेगा। उद्घाटन समारोह में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, ऊर्जा मंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह, जल संसाधन मंत्री बिजेंद्र यादव, पीएचईडी मंत्री, अश्विनी कुमार चौबे, कृषि मंत्री रेणु कुमारी, मानव संसाधन मंत्री हरिनारायण सिंह, राज्य सभा सदस्य शिवानंद तिवारी व अनिल सहनी भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार का इतिहास देश का इतिहास रहा है। आजादी की लड़ाई में भी इस प्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान रहा। हमारी पहचान बहुत ही उत्कृष्ट रही है। पर हमारी पहचान अभी जाति की या फिर राष्ट्रीय पहचान हो जाती है। हम विभिन्न जातियों में बंटे और बदनाम भी होते रहे। हमने सोचा कि बिहार को एक विशिष्ट पहचान दिलाएंगे। कहां फंसे रहेंगे जाति-पाति में। नयी पीढ़ी को संकुचित पहचान के दायरे से निकालकर बिहार की विशिष्ट पहचान से जोड़ेंगे। बिहार दिवस आयोजन का मुख्य उद्देश्य लोगों के अंदर के बिहारीपन को जगाना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार की युवा पीढ़ी मेधावी और मेहनती है। दूसरों के लिए दौलत पैदा करती है। वह हेय दृष्टि से देखी जाये यह हमें बर्दाश्त नहीं। हम अच्छा बिहारी बनकर ही अच्छा हिंदुस्तानी बन सकते हैं। हाल के दिनों में जब बिहार दो कदम आगे चलने लगा तो पूरी दुनिया में इसकी प्रशंसा हो रही है। हमारी यही पहचान होगी। बिहारी पहचान। हम बिहार में उन सभी चीजों को उभारें जो हमें जोड़ता है। जातीय पहचान तो हमें तोड़ता है। इस क्रम में मुख्यमंत्री ने बिहारी व्यंजनों की भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि बिहार में बहुत कुछ है। बस जरूरत इस बात की है कि हम उन पर गौरव करें। समाज में अब परस्पर विश्वास का भी माहौल है। अभी तो शुरूआत है। बिहार को काफी ऊंचाई पर जाना है। आज सभी के मन में बिहारीपन का भाव जागा है। उन्होंने सचेत भी किया कि बदनाम करने वाली चीजों से दूरी रखें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में जो काम हो रहा है उसे अब दूसरे जगहों पर अपनाया जा रहा है। इसलिए हमें अपने गौरव से नयी पीढ़ी को प्रेरित करना है। अभी तो 11 प्रतिशत ही विकास दर हुआ है। अगर हम बिहारी बन कर दिखाएंगे तो यह 15 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा और 2015 तक बिहार विकसित प्रदेश बनेगा। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि बिहारी अस्मिता के लिए हम बिहार का एक राज्य गीत भी बनाना चाहते हैं। जो चीजें बिहार के व्यक्तित्व को बनाती हैं उस पर एक फिल्म का निर्माण भी होगा। बिहार की बीस बेटियों को लेकर प्रकाशित पुस्तक स्कूलों में पढ़ायी जायेगी ताकि बच्चे उनसे प्रेरणा ले सकें।
इस मौके पर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि आज बिहार का स्वाभिमान जागा है। पहले हम अपनी पहचान छिपाते थे। बिहार दिवस देश के साथ विदेश में भी उन जगहों पर हो रहा है जहां बिहारी रहते हैं। श्री मोदी ने कहा कि झारखंड से अलग होना बिहार के लिए वरदान साबित हुआ
काफी प्रसिद्ध रहा दाल पूरी संग मखाने की खीर
सचुमच हमें जोड़ लिया हमारे खानपान ने। बिहार दिवस के मौके पर गांधी मैदान में लगे व्यंजन मेले की रौनक मंगलवार को देखते बन रही थी। अब तक लिंट्टी-चोखा में मगन लोगों को एक परिसर में बिहारी व्यंजनों की बड़ी वेरायटी, वाजिब दाम पर मिल रही थी इसलिए भीड़ खूब दिखी। आम तौर पर त्यौहारों और खास आयोजनों में बनने वाले बिहारी व्यंजन का स्वाद लेने वाले इस दौरान अपने गांव की बात भी खूब कर रहे थे।
दाल-पूड़ी के संग मखाना की खीर
व्यंजन मेले का एक खास आकर्षण दालपूड़ी और मखाना की खीर भी है। एक महिला ने खास तौर पर इस व्यंजन का स्टाल लगा है। दो दालपूड़ी एक प्लेट में उपलब्ध है जबकि मखाना की खीर अलग से लेनी पड़ती है। जेब पर भी भारी नहीं पड़ती यह। दस रुपये प्लेट मिल रही दालपूड़ी।
फ्राइ चूड़ा विद ड्राइ मीट
बिहारी व्यंजन मेले में मुजफ्फरपुर का फ्राइ चूड़ा और ड्राइ मीट भी लोगों को खूब भा रहा है। सत्तर रुपये में फूल प्लेट और चालीस रुपये में हाफ। फूल प्लेट में मटन के चार पीस और हाफ में दो। साथ में तला हुआ चूड़ा। पटना के लोगों को पहली बार किसी मेले में चूड़ा के साथ इस तरह के मटन का कांबिनेशन परोसा गया है।
गुड़ की जलेबी और मालपुआ
देसी स्वीट डिश के शौकिनों के लिए बिहारी व्यंजन मेले में गुड़ की जलेबी और मालपुआ तक उपलब्ध है। गर्मागर्म गुड़ की जलेबी आम तौर पर देहाती क्षेत्र में लगने वाले मेलों में अब भी दिख जाती है। दस रुपये प्लेट वाली गुड़ की जलेबी सहज ही लोगों के आकर्षण में है।
दही-बड़ा, जलेबी, चंद्रकला और लौंगलता भी
व्यंजन मेले में दो स्टाल दहीबड़े, इमरती, जलेबी, चंद्रकला और लौंगलता की है। आम तौर पर छेने की मिठाई से अलग स्वाद रखने वाले इन देसी मिठाइयों को व्यंजन मेले में खूब कद्रदान मिल रहे हैं। कीमत भी ऐसी की दस रुपये में एक दहीबड़ा।
बेनीपंट्टी का कालाजामुन
बेनीपंट्टी का काला जामुन भी बिहारी व्यंजन मेले में लोगों को अपनी ओर खींच रहा है। वहां के काला जामुन की ख्याति उत्तर बिहार में खूब है।
कबाब और चूड़ा पुलाव के संग चंपारण का मटन
बिहारी व्यंजन मेले में नानवेज व्यंजनों के दो-तीन स्टाल हैं। चंपारण जिले के स्टाल पर चूड़ा पुलाव के संग मटन की बिक्री हो रही है। लोग बड़े चाव से खा रहे। यही नहीं इस स्टाल पर चंपारण इलाके का सुगंधित चावल भी बिक रहा है। एक स्टाल कबाव का है। चावल के भूंजे के संग कबाव मिल रहा है।
पकौड़े भी खूब बिक रहे
पटना जिले की शाहजहांपुर की महिलाओं ने पकौड़े का स्टाल लगाया है। आपके कहने पर वे महिलाएं आपके शौक और स्वाद के हिसाब से पकौड़े तल कर आपको देंगी। आप चाहें तो इस स्टाल पर भूंजे के साथ गर्म पकौड़े का आनंद ले सकते हैं।
सुपौल का खाजा और फुलवारी का लट्ठो
व्यंजन मेले में सुपौल का खाजा, भोजपुर की वेलग्रामी और फुलवारीशरीफ का लट्ठो भी लोगों के आकर्षण का केंद्र है। तीनों व्यंजनों के स्टाल अलग-अलग है। लट्ठो के स्टाल पर दालमोट भी बिक रहे हैं।
लिंट्टी-चोखा के कई स्टाल
आमतौर जब भी किसी मेले में व्यंजन का जब कोई स्टाल लगता है तो लिंट्टी-चोखे की धूम रहती है। बिहारी व्यंजन मेले में भी लिंट्टी-चोखा स्टाल की धूम है। लिंट्टी कई तरह के हैं। पनीर भरी लिंट्टी भी मिल रही है।
बड़ी-दनौरी के भी स्टाल
व्यंजन मेले में खाने-पीने के तरह-तरह के व्यंजन तो मिल ही रहे साथ ही साथ बड़ी-दनौरी भी मिल रही। मूंग, चना की बड़ी के साथ-साथ आर तिसऔरी और दनौरी भी खरीद कर ले जा सकते हैं।
बाढ़ की लाई
आम तौर पर बाढ़ के चौंधी पर की खोवे की लाई का स्वाद लोग खूब जानते हैं पर बिहारी व्यंजन मेले में इसे बेचने का अंदाज नया है। आम किलो दो किलो खरीदना नहीं चाहते तो न खरीदें। दस रुपये में दो लाई का प्लेट उपलब्ध है। गया-गोह का चना-भाजी व्यंजन मेले के बाहर भी बिहारी व्यंजनों की धूम है। गया-गोह का चना भाजी पांच रुपये प्लेट खूब मजे से मेला परिसर के बाहर बिक रहा है। चाहे तो बंधवा लें या फिर खाते-खाते निकल लें
इस तीन दिवस समारोह पर बनेगा लघु फिल्म (ख़ास)
बिहार दिवस के मौके पर विभिन्न जिलों में आयोजित समारोहों पर सूचना एवं जन संपर्क विभाग आधे घंटे की लघु फिल्म बना रहा है।
सूचना सचिव राजेशभूषण ने मंगलवार को बिहार दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों की समीक्षा करते हुए जिला संपर्क पदाधिकारियों से पंचायत, प्रखंड व जिला स्तर पर स्कूलों में मनाये गये समारोहों पर आलेख, फोटो तथा वीडियोग्राफी को संरक्षित करने को कहा। उन्होंने कहा कि विभाग समारोहों पर आधे घंटे की लघु फिल्म भी तैयार करा रहा है। इससे भविष्य की पीढि़यों को बिहार दिवस के प्रथम आयोजन की जानकारी मिल सकेगी। बिहार दिवस पर मुख्यमंत्री द्वारा विमोचित बिहार स्मारिका तथा विभागीय पत्रिका का बिहार दिवस विशेषांक सभी जिलों में वितरित करने का भी निर्देश दिया।
बिहार दिवस के मौके पर राज्य अभिलेखागार में 'आधुनिक बिहार का सृजन' विषय पर आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि बिहार ने हमेशा देश को राह दिखायी है। वक्ताओं ने कहा कि बिहार न केवल लोकतंत्र की जन्मभूमि है, बिहार के ही सम्राट अशोक ने पूरी दुनिया के सामने शासन का मिसाली नमूना पेश किया।बिहार दिवस को उत्सव के रूप में मनाये जाने के मुख्यमंत्री के फैसले की सराहना करते हुए वक्ताओं ने कहा कि ऐसे आयोजनों से बिहारवासियों में गर्व की भावना पैदा हो रही है। संगोष्ठी में प्रो. हेतुकर झा, प्रो. युवराज देव प्रसाद, प्रो. रत्नेश्वर मिश्र, प्रो. प्रमोदानंद दास, प्रो. प्रभाकर सिंह, प्रो. अशोक अनुशुमन आदि ने भाग लिया। संगोष्ठी की अध्यक्षता अभिलेख निदेशक डा. विजय कुमार ने की।
कवी सम्मलेन भी काफी नाम कमाया
हर जगह मेहनतें हमारी हैं, देश की रंगते निखारी हैं, शर्म की बात क्या जहां रहिये फख्र से कहिये, हम बिहारी हैं। आप अपनी मिसाल रखते हैं, इस कदर हम कमाल रखते हैं, जो हमारा ख्याल रखता है हम भी उसका ख्याल रखते हैं। जफर सिद्दीकी के इन्हीं तेवरों के साथ बिहार दिवस समारोह पर गांधी मैदान में बुधवार को एक भव्य मुशायरा सह कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ।
भीड़ का समर्थन पाकर कवि सिद्दकी ने कुछ इस अंदाज बिहार का परिचय देते हुए कहा कि- हिंदुस्तां की आंख का तारा है बिहार, सारी रियासतों में अनोखा है बिहार। पीर-फकीर, संत और साधु की है जमीन, आकाश क्या है उससे भी ऊंचा है बिहार। इसके बाद आये कवि ने हास्य का पुट देते हुए कुछ इस अंदाज में अपना परिचय दिया- ई तो रहुआ लोगन की मर्जी बा, कि हमार नाम सत्येंद्र सिंह दूरदर्शी बा। प्यार दिन का उजाला नहीं, प्यार तो रात की चांदनी है, प्यार पांव की थिरकन नहीं है, प्यार तो मन में छुपी रागिनी है, प्यार का कोई मौसम नहीं है, प्यार के रात दिन फागुनी है। डा. शांति जैन ने जैसे ही अपने इस गीत से सच्चे प्यार को परिभाषित करना शुरू किया, पूरा माहौल प्यार के सागर में डूब गया। इसके बाद चाहे मंच संचालक कासिम खुर्शीद का मुझे फूलों से बादल से हवा से चोट लगती है, अजब आलम है इस दिल को वफा से चोट लगती है, संजय कुमार कुंदन का एक जेब थी जो तंग रही थी तमाम उम्र, एक हाथ था जो आखिरी दम तक खुला रहा, हो या फिर अभय कुमार बेबाक का मेरा दिया है मुकाबिल चिरागे शाही के, मैं जानता हूं ये आसार हैं तबाही के, आदि शेरों में बंध लोग भूल गए कि उन्हें घर भी जाना है।
इसी के साथ इस मुशायरे ने बिहार दिवस के मूल उद्देश्य, बिहार की उन परंपराओं को स्थापित करते हुए जनजन के ह्रदय तक पहुंचाने का काम किया जिन्हें लोग भूलते जा रहे हैं। कवियों/शायरों ने मौजूद लोगों को यही संदेश दिया कि अपने सम्मान को बनाये रखें क्योंकि आत्मसम्मान ही विस्तृत फलक पर अपने समाज या देश का सम्मान है। इसी प्रकार पद्मश्री रवीन्द्र राज हंस, सुल्तान अख्तर, शांति जैन, नाशाद औरंगाबादी, शंकर कैमूरी, शगुफ्ता सहसरामी, प्रेम किरण, ध्रुव नारायण गुप्त, भगवती प्रसाद द्विवेदी, चंद्रकिशोर पराशर, अश्वनी कुमार अशरफ, रुखसाना सिद्दकी, आशा प्रभात, गोरख मस्ताना, आदि के कलाम व कासिम खुरशीद के प्रभावशाली संचालन में सभी ने अनुशासन, मिट्टी से प्यार एवं शांति जैसे संदेश दिए।
इसके पूर्व मानव संसाधन मंत्री हरि नारायण सिंह तथा प्रधान सचिव अंजनी कुमार ने शकील अहमद काकाई की अगुवाई में विभिन्न देशों से आये 22 बच्चों को प्रतीक चिह्न दे सम्मानित किया
ले चल पटना बाजार जिया ना लागे घरवा.. झूमर गीत व नृत्य की प्रस्तुति ने बिहार की लोक संस्कृति को जीवंत कर दिया। पटना के सत्येन्द्र कुमार के निर्देशन में उनकी टीम ने एक से बढ़ कर एक लोकगीत व नृत्य पेश किया जिस पर दर्शकगण झूम उठे।
अवसर एक बार फिर गांधी मैदान में चल रहे बिहार उत्सव का था। समारोह के अंतिम दिन बुधवार को भिखारी ठाकुर मंडप में लोग दिनभर लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनन्द उठाते रहे। शुरुआत हुई नीमिया के डाली मइया.. देवी गीत के साथ। रामनवमी के विशेष अवसर पर गीत को सुनकर महिलाएं भावुक हो उठी। इसके बाद गांव में इनरवा निमन लागो, चल चली नदिया के पार, मोरे अंगनवा के गछिया के रूप में कृषि गीत, मैथिली व जट-जटिन की मनमोहक गीत व नृत्य प्रस्तुति का लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया। इस ग्रुप में संतोष कुमार टुन्नी, ऋषि, प्रेरणा, स्वाति, आयुषि, चन्दन, राजीव समेत अन्य कलाकारों ने हिस्सा लिया। इस दौरान मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना से जुड़ी नवसाक्षर महिलाओं व अक्षर दूतों ने भी साक्षरता गीत गाकर अपनी भावनाओं को दिखाया।
अब बारी थी भरत-भारती संस्था की। गौतम घोष के निर्देशन में लोक नृत्य व गायन की अद्भुत प्रस्तुति की गयी। अब दुख सहा न जाये माता.. भक्ति गीत को सुनकर श्रोता भक्तिसागर में गोते लगाने लगे। फिर उमरल बदरिया व झूमर गीत ननदी के अंगनवा, कार्तिक मास गीत और लाली लाली चुनरी होली नृत्य ने बिहार की संस्कृति को बिहार उत्सव में खूब दिखाया। इन प्रस्तुतियों में निर्मला सिन्हा, आतिश, सुविता, रश्मि, तन्वी सहित अन्य ने भी सहभागिता निभाई।
प्रस्तुति:-रत्नेश रमण पाठक (यांत्रिक अभियंत्रण ,छात्र )
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