For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझसे नकाब क्यों ? : हरि प्रकाश दुबे

दिल में रहने वाले मुझसे नकाब क्यों ?

इतना मुझे बता दे मुझसे हिज़ाब क्यों?

 

साकीं यह सुना तू है मदिरा का सागर

लाखों को तूने तारा मुझको जवाब क्यों?

 

मेरे गुनाह लाखों होंगे ये मैंने है माना

गैरों से कुछ न पूछा मुझसे हिसाब क्यों?

 

तूने जिसको अपनाया उसको खुदा बनाया

उनका नसीब है अच्छा मेरा खराब क्यों?

 

छोटी सी ये हस्ती में है कुल कमाल तेरा

बेहद का है तू दरीया फिर मैं हुबाब क्यों?

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित”

Views: 970

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on March 3, 2015 at 5:36pm

आदरणीय मिथिलेश भाई ,बहुत बहुत आभार आपका आपने अपना अमूल्य समय इस रचना को दिया , अब धीरे -धीरे  समझ आ रहा है ! सादर !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 3, 2015 at 7:39am

आदरणीय हरिप्रकाश भाई जी, आपने जो मुशायरे की बह्र पर ये ग़ज़ल कही है दरअसल बह्र के अनुसार कुछ यूं होगी-

1212 - 1122 - 1212 -  22

जो दिल में आप के हम है नकाब क्यों बोलो

हमें बता भी दो ऐसा हिजाब क्यों बोलो ( जहाँ अंडरलाइन है मात्रा गिराई गई है यानी गुरु-2 को लघु-1 किया गया है )

 

मेरे हिसाब से आपकी रचना के मिसरों को इस बह्र में कहने से ग़ज़ल अधिक लयात्मक होगी -

221-2121-1221-212

ऐ दिल में रहने वाले मुझी से नकाब क्यों ?

इतना मुझे बता दे मुझी से हिज़ाब क्यों? ( जहाँ अंडरलाइन है मात्रा गिराई गई है यानी गुरु-2 को लघु-1 किया गया है )

 

 

आदरणीय शिज्जु भाई जो ने जो बह्र सुझाई है उसमे इस ग़ज़ल को बिठा सकते है बस थोड़ा शब्द संयोजन कर लयात्मकता भर ले आये.

 22- 22 – 22 - 22 - 22 – 2

 

दिल में रहने वाले मुझसे नकाब क्यों ?

इतना मुझे बता दे मुझसे हिज़ाब क्यों?

 

सादर

 

 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 2, 2015 at 10:35pm

आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी रचना पर उपस्तिथि और उत्साहवर्धक टिपण्णी के लिए आपका हार्दिक आभार , सादर !

Comment by Hari Prakash Dubey on March 2, 2015 at 10:26pm

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया साहब , आपकी रचना पर उपस्तिथि और उत्साहवर्धक टिपण्णी के लिए आपका हार्दिक आभार , सादर !

Comment by Hari Prakash Dubey on March 2, 2015 at 10:23pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी , बहुत बहुत धन्यवाद ,आपकी प्रतिक्रिया ने और आपके मार्गदर्शन ने उत्साहित किया, आभार आपका ! बह्र को लेकर मैंने  अपनी बात पूरी इमानदारी से  रख ही दी है, सादर ! 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 2, 2015 at 10:19pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी सर आप जैसे विद्वान् लोगों के सामने ये एक तुच्छ प्रयास है ,आपकी सह्रय्द्यता आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ! अभी सर मुझे आप जैसे विद्वानों से ही सीखना है ,बह्र का मुझे वास्तव में तकनीकी ज्ञान नहीं है ,बस एक लहर में लिख दिया , आगे सचेत रहूँगा !  सादर

Comment by Hari Prakash Dubey on March 2, 2015 at 10:12pm

आदरणीय खुरशीद भाईसाहब आपकी उत्साहवर्धक टिपण्णी से मन प्रसन्न हो गया , आपका हार्दिक आभार , सादर !  

Comment by Hari Prakash Dubey on March 2, 2015 at 10:10pm

आदरणीय अरुण कुमार निगम जी आपका हार्दिक आभार ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 2, 2015 at 10:06pm

आदरणीय उमेश कटारा जी , ग़ज़ल पर आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 2, 2015 at 10:04pm

आदरणीय डॉक्टर विजय शंकर सर ,आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद  ! सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छी कुंडलियाँ हुई हैं। हार्दिक बधाई।  दुर्वयस्न को दुर्व्यसन…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मार्गशीर्ष (दोहा अष्टक)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर रोला छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मार्गशीर्ष (दोहा अष्टक)

कहते गीता श्लोक में, स्वयं कृष्ण भगवान।मार्गशीर्ष हूँ मास मैं, सबसे उत्तम जान।1।ब्रह्मसरोवर तीर पर,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय दयारामजी"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service