For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हर जगह हर घडी बस तू साथ है
जहाँ मेरी नज़रे पडी बस तू साथ है
छोड़ा वक़्त ने जहाँ मुझ बदनसीब को
वहां पे मिली खड़ी बस तू साथ है


मेरे नये संसार में बस तू साथ है
प्यार के व्यवहार में बस तू साथ है
बदल गये जिसमें मेरे सब चाहने वाले
उस वक़्त के रफ़्तार में बस तू साथ है


मोहब्बत के इस कर्ज़ में बस तू साथ है
इंसानियत के फ़र्ज़ में बस तू साथ है
यूँ तो खुशियों के हमदर्द सब हैं मगर
मुझे मिले हर दर्द में बस तू साथ है


सावन का असर है जब तू साथ है
यौवन भी अजर है जब तू साथ है
ज़िन्दगी की मेरी कमाई हो तुम
मौत का भी क्या डर है जब तू साथ है ||

***************************************

"मौलिक व अप्रकाशित "

Views: 452

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on December 28, 2014 at 3:12pm
सुन्दर प्रस्तुति बंधू।
Comment by maharshi tripathi on December 27, 2014 at 6:24pm

मिथिलेश जी , आपके सलाह के लिए धन्यवाद,,,आगे से रचना के समय ध्यान रखूँगा |

 

Comment by Shyam Narain Verma on December 27, 2014 at 2:33pm

बहुत  ही सुन्दर प्रस्तुति  //हार्दिक बधाई आपको 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 26, 2014 at 10:12pm

आदरणीय महर्षि  भाई जी एक ही रचना दो बार क्यों पोस्ट कर रहे है -

1- http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:598343

2- http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:598580

Comment by Hari Prakash Dubey on December 26, 2014 at 5:22pm

महर्षि जी बढ़िया प्रयास ! 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 26, 2014 at 11:48am

महर्षि जी

वामनकर जी के कथन पर गौर करेंगे तो बहुत बेहतर लिख पाएंगे i सस्नेह ii


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 26, 2014 at 2:15am

अच्छी भावाभियक्ति ... अच्छा प्रयास 

रचना का छंद या बहर अवश्य लिखे ..... पाठकों की परीक्षा न लें .... 

रचना को मात्राओं में इस तरह भी कहा जा सकता है-

2 1 2 2 - - 2 1 2 2 - - 2 1 2 2

हर जगह पे,  हर घडी बस, साथ है तू 
जब जहाँ  नज़रे पडी बस, साथ है तू
वक़्त ने छोड़ा मुझे  ये  बदनसीबी 
पर मिली जब तू खड़ी बस, साथ है तू 

इस नये संसार में बस साथ है तू 
प्यार के व्यवहार में बस  साथ है तू 
चाहने वाले बदल जाए नहीं गम 
इस वक़्त के रफ़्तार में बस साथ है तू 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदाब, आदरणीय,  ' नूर ' मैंने आपके निर्देश का संज्ञान ले लिया है! "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बहुत बहुत आभार आ. सौरभ सर ..आप से हमेशा दाद उन्हीं शेरोन को मिलती है जिन पर मुझे दाद की अपेक्षा…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service