For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हुकूमत हाथ में आते, नशा तो छा ही जाता है,

अगर भाषा नहीं बदली, तो कैसे याद रक्खोगे.

किये थे वादे हमने जो, मुझे भी याद है वो सब,

मनाया जश्न जो कुछ दिन, उसे तो याद रक्खोगे.

मुझे दिल्ली नहीं दिखती, समूचा देश दिखता है,   

बिके हैं लोग जैसे भी, उसे तुम याद रक्खोगे.

अगर तुम चैन पा लोगे, मुझे तुम भूल जाओगे,

बढ़ेगी प्यास जब तेरी, तभी तो याद रक्खोगे.  

वे नादां लोग होते हैं, अमन की चाह रखते हैं,

लुटेगा चमन जब तेरा, तभी तो याद रक्खोगे.

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

जवाहर लाल सिंह 

Views: 615

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 23, 2014 at 8:09pm

आदरणीय श्री हरिप्रकाश दुबे जी, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 23, 2014 at 8:09pm

प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय श्री विजय निकोर जी!

Comment by Hari Prakash Dubey on December 23, 2014 at 6:12pm

 आदरणीय  जवाहरलाल  जी सुन्दर प्रस्तुति  ,हार्दिक बधाई आपको !

Comment by vijay nikore on December 23, 2014 at 4:00pm

बहुत ही सुन्दर भाव हैं। हार्दिक बधाई।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 23, 2014 at 12:03pm

हार्दिक आभार आदरणीय सोमेश कुमार जी!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 23, 2014 at 12:03pm

आदरणीय शिज्जू शकूर साहब, सादर अभिवादन! आपलोगों के परामर्श, मार्गदर्शन और अद्धययन से सुधार होगा ऐसा सोचता हूँ.

Comment by somesh kumar on December 23, 2014 at 12:35am

सुंदर ,सुधार करें और आगे बढ़ें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 22, 2014 at 7:59pm

आदरणीय जवाहर लाल जी रचना तो अच्छी है उसके लिये बधाई स्वीकार करें। लेकिन इसे मैं एक मुकम्मल ग़ज़ल न कह के अलग अलग शेर कहूँगा क्योंकि आखिरी शेर को छोड़ कर बाकी में बह्र तो निभाया है लेकिन ग़ज़ल में काफ़िया होना चाहिये वो नहीं है।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 22, 2014 at 7:46pm

आदरणीय मिथिलेश जी, सादर अभिवादन!

आपका मार्गदर्शन मेरे लिए अमूल्य है आपका हार्दिक आभार मेरी कोशिश जारी रहेगी ..सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 22, 2014 at 7:20pm

1222 X 4 बहर का खूब निभाया है बधाई आदरणीय जवाहर जी .... बस इसे ग़ज़ल बनाने के लिए काफिया निर्धारित कर ले या गीत बना ले एक मुखड़ा बस चाहिए  जैसे  

वतन को  बाद रक्खोगे 

उसे क्या याद रक्खोगे 

हुकूमत हाथ में आते,

नशा तो छा ही जाता है,

अगर भाषा नहीं बदली,

तो कैसे याद रक्खोगे.

किये थे वादे हमने जो,

मुझे भी याद है वो सब,

मनाया जश्न जो कुछ दिन,

उसे तो याद रक्खोगे.

एक छोटा सा संशोधन -

लुटेगा चमन जब तेरा, तभी तो याद रक्खोगे..... चमन लूटे कभी तेरा तभी तो याद रक्खोगे या लुटेगा जब चमन तेरा, तभी तो याद रक्खोगे

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
23 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service