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रिश्ते हैं , बन जाते हैं -- डा० विजय शंकर

लोग मिलते हैं ,
जीवन में आते हैं ,
रिश्ते हैं , बन जाते हैं |
कभी छाँव में दो पल साथ बिताते हैं ,
कभी तपती दोपहरी भी सह जाते हैं ,
कभी चट्टान से बन जाते हैं ,
कभी बरगद की तरह हो जाते हैं,
कभी फूलों की तरह आते हैं ,
सब महका , महका जाते हैं ,
रिश्ते हैं , बन जाते हैं |

रिश्ते बनते हैं ,
बनते जाते हैं ,
कभी छूट भी जाते हैं ,
कभी कहीं बिखर जाते हैं ,
कभी बिखरने की वजह से छूट जाते हैं।
कभी कांच से भी नाज़ुक रह जाते हैं ,
झटका एक लगा और टूट जाते हैं ,
टूटते हैं , बिखरते हैं, दूर तक बिखर जाते हैं,
कौन सा टूटा टुकड़ा , कब कहाँ रास्ते में ,
आ जाए , चुभ जाए , पहले से.
कहाँ बताते हैं , बस चुभ जाते हैं.
रिश्ते ऐसे ही होते हैं |

रिश्ते हैं ,
अपनी सुगंध , अपना स्वाद रखते हैं ,
एक चुटकी स्वाद नमक का बना रहे ,
रिश्ते मीठे - मीठे , मीठे रह जाते हैं ,
रिश्ते मायने रखते हैं , कीमती होते हैं ,
सहेजो , तोड़ो मत , बने रहने दो ,
फूलों की पंखुड़ियों की तरह पुरानी
किताबों के पन्नों में पड़े रहने दो ,
जब भी दिखेंगें , यादें लायेंगें , मुस्कराएँगें ,
क्योंकि रिश्ते यादों से जुड़े होते हैं।
रिश्ते स्मृतियाँ होते हैं |

रिश्ते हैं ,
रहते हैं ,
यूँ ही कभी याद भी आते हैं ,
हर खुशी , हर गम में याद आते हैं ,
टूट जाएँ , तो ज्यादा याद आते हैं ,
रिश्ते हैं, बस कुछः यूँ ही होते हैं ,
रिश्ते ऐसे ही होते हैं |

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 653

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Comment by Dr. Vijai Shanker on December 23, 2014 at 5:54pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय योगेन्द्र सिंह जी , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 23, 2014 at 6:30am
रचना को पसंद करने केलिए आभार आदरणीय जवाहर लाल जी , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 23, 2014 at 12:04am
रचना पसंद करने के लिए आभार , धन्यवाद, आदरणीय सोमेश कुमार जी , सादर।
Comment by somesh kumar on December 22, 2014 at 11:03pm

रिश्ते हैं ,
अपनी सुगंध , अपना स्वाद रखते हैं ,
एक चुटकी स्वाद नमक का बना रहे ,
रिश्ते मीठे - मीठे , मीठे रह जाते हैं ,
रिश्ते मायने रखते हैं , कीमती होते हैं ,
सहेजो , तोड़ो मत , बने रहने दो ,
फूलों की पंखुड़ियों की तरह पुरानी
किताबों के पन्नों में पड़े रहने दो ,
जब भी दिखेंगें , यादें लायेंगें , मुस्कराएँगें ,
क्योंकि रिश्ते यादों से जुड़े होते हैं।
रिश्ते स्मृतियाँ होते हैं |

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 22, 2014 at 7:25pm
आदरणीय डॉ o गोपाल नारायण जी ,रचना को स्वीकार करने एवं प्रशस्ति के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 22, 2014 at 7:21pm
बहुत बहुत धन्यवाद , आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on December 22, 2014 at 7:20pm
बहुत बहुत धन्यवाद , आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी , सादर।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 22, 2014 at 7:20pm

लाजवाब! एक एक पंक्ति सत्य को परिभाषित करती हुई ....बहुत रिसते हैं, ये रिश्ते  कभी कभी....

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 22, 2014 at 3:47pm

रिश्ते मायने रखते हैं , कीमती होते हैं ,
सहेजो , तोड़ो मत , बने रहने दो ,
फूलों की पंखुड़ियों की तरह पुरानी
किताबों के पन्नों में पड़े रहने दो ,
जब भी दिखेंगें , यादें लायेंगें , मुस्कराएँगें ,
क्योंकि रिश्ते यादों से जुड़े होते हैं।
रिश्ते स्मृतियाँ होते हैं |-------------------------------- Vijay sir ! क्या बात  है , बेहतरीन  i सादर i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 22, 2014 at 3:21pm

आदरणीय विजय शंकर भाई , रिश्तों की खूबसूरत व्याख्या की है आपने , बहुत खूब , बहुत बधाइयाँ ।

कृपया ध्यान दे...

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