For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरा दिया जन्म,मुझे स्वीकार नहीं

तेरा दिया जन्म

मुझे स्वीकार नहीं

जन्म स्थान

मुझे स्वीकार नहीं

यह नाम

मुझे स्वीकार नहीं

स्वीकार नहीं मुझे

कर्म करना, और   

भाग्य से बंध जाना

मुझे स्वीकार नहीं

स्वीकार नहीं मुझे

तेरे तथा-कतिथ दूतों के

नैतिकता-अनैतिकता के निर्देश

उनके छल भरे उपदेश

तेरे नाम पर रचे, उनके

षडयन्त्र भरे परिवेश

मैं विद्रोही तेरी माया का

आ ,मुझे नरसिंह बनकर

हिरण्यकश्यप की तरह मार दे

या बुद्ध बना कर मुझे  

मध्य मार्ग पर उतार दे !!  

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 566

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on December 4, 2014 at 11:44pm

सही कहा सोमेश भाई आपने ,आपका धन्यवाद !

Comment by somesh kumar on December 4, 2014 at 10:49pm

आ ,मुझे नरसिंह बनकर

हिरण्यकश्यप की तरह मार दे

या बुद्ध बना कर मुझे  

मध्य मार्ग पर उतार दे !!  

निश्नदेह अब या तो बुद्ध बनने या बुद्धू बनने की जरूरत है |उस ईश्वर के नाम पर होने वाला छलावा अब इंसान पर भारी पड़ने लगा है |

 

Comment by Neeraj Nishchal on December 4, 2014 at 7:01pm
आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी आपकी रचना से आपने यह सिद्ध कर दिया कि कवि छू लेता है ऋषियोँ की उँचाइयोँ को और उन्हे शब्दोँ मेँ उतार देता आपको इस रचना के लिये लाख लाख बधाई प्रेषित हैँ ।
Comment by seematiwari on December 4, 2014 at 5:04pm

आ ,मुझे नरसिंह बनकर

हिरण्यकश्यप की तरह मार दे

या बुद्ध बना कर मुझे  

मध्य मार्ग पर उतार दे !!   ...क्या बात है!!

सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय हरिप्रकाश जी ...आपकी यह रचना गज़ब की दार्शनिकता से  परिपूर्ण है......सादर अभिवादन

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service