For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शजर की हाय ही काफ़ी अगर बोला तो क्या होगा (ग़ज़ल 'राज')

1222  1222   1222  1222

नहीं होता तो क्या होता अगर होगा तो क्या होगा

कभी तुमने बचाया क्या अभी खोया तो क्या होगा

 

जमाने को सिखाया है हुनर तुमने यही अब तक

वफ़ा करके कभी खुद को मिले धोखा तो क्या होगा 

 

किसी की जिन्दगी में तुम उजाला कर नहीं सकते

अगर खुर्शीद भी दिन में न अब जागा तो क्या होगा 

 

चले हो आबशारों को जलाने आग से अपनी

समंदर ने तुम्हारा रास्ता रोका तो क्या होगा 

 

लिए वो हाथ में पत्थर कभी फेंका था जो तुमने 

तुम्हारा आईना दिल का  अगर टूटा तो क्या होगा 

 

बरी हो तुम भले  ही आज  अपने इन गुनाहों से

अदालत से ख़ुदा की फेंसला आया तो क्या होगा

 

बहुत बर्दाश्त करता है न कहता कुछ जुबाँ से वो

शजर की हाय ही काफ़ी अगर बोला तो क्या होगा

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 798

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2014 at 4:45pm

आ० श्याम नारायण वर्मा जी,आपका तहे दिल से आभार | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2014 at 4:44pm

आ० डॉ० गोपाल नारायण जी,आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से नत हूँ ,मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से बहुत बहुत शुक्रिया सादर    


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2014 at 4:44pm

आ० डॉ० गोपाल नारायण जी,आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से नत हूँ ,मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से बहुत बहुत शुक्रिया सादर    


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2014 at 4:42pm

आ० योगराज जी ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना से बहुत मुग्ध हूँ आपकी प्रतिक्रिया किसी पुरस्कार  से कम नहीं तहे दिल से आभारी हूँ सादर |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2014 at 4:40pm

आ० गिरिराज भंडारी जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई ,आपकी प्रतिक्रिया से बहुत उत्साहित हूँ ,तहे दिल से आभार आपका |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2014 at 4:38pm

हार्दिक शुक्रिया सोमेश भैया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2014 at 4:38pm

हार्दिक शुक्रिया प्रिय पूजा यादव जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2014 at 4:37pm

शिज्जू भैय्या ,ग़ज़ल पर होंस्लाफ्जाई करती हुई आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया सके लिए दिल से आभारी हूँ बहुत- बहुत शुक्रिया.  

Comment by Shyam Narain Verma on November 19, 2014 at 2:07pm

".वाह क्या बात है ,,,,,,,,,,,,,खूबसूरत गजल के लिए आपको हार्दिक बधाईसादर "

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 19, 2014 at 12:33pm

महनीया

कुछ भी  कहना मुनासिब नहीं i पूरी गजल शब्दातीत है i  कलम की आग है यह i सादर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service