For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम अगन करती सदा, चेतन का विस्तार

रोम-रोम तप भाव-तन, धरे नवल शृंगार

 

मैं-तुम भेद-विभेद हैं, मायावी मद भ्राम

द्वैत विलित अद्वैत सत, चिदानन्द अविराम

 

सूक्ष्म धार ले स्थूल तन, पराश्रव्य हो श्रव्य

गुह्य सहज प्रत्यक्ष हो, सधें नियत मंतव्य 

डॉ० प्राची 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 846

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 17, 2014 at 8:25pm

बहुत सुन्दर सार्थक दोहे हार्दिक बधाई ,बहुत दिनों बाद आपकी रचना आई ओबिओ पर बहुत  ख़ुशी लाई .

Comment by somesh kumar on October 17, 2014 at 8:18pm

सुंदर अर्थपूर्ण दोहे,एक कोशिश आप के दोहों को अपने शब्दों में कहने की 

चेतना जल उठी प्रेम की आग से 

मैं निखरने लगी तेरे अनुराग से 

मैं-तुमसे पृथक कहीं भी नही 

आत्मा-जिस्म के बिना कुछ नहीं 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 17, 2014 at 7:46pm

आ० डॉ० गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी 

दोहों में सन्निहित भावार्थ को आपकी स्वीकार्यता मिली आपकी आभारी हूँ

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 17, 2014 at 7:42pm

आ० डॉ० विजय शंकर जी 

दोहों को आपके पाठक नें स्वीकार किया और आपसे सराहना मिली 

इस उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 17, 2014 at 7:41pm

आ० श्याम नारायण वर्मा जी 

दोहों पर आपकी सराहना के लिए धन्यवाद 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 17, 2014 at 11:47am

आदरणीया प्राची जी

बहुत दिनों बाद आपकी रचना से साक्षात्कार हुआ  i

प्रेमाग्नि का संबल पाकर भावरूपी शरीर  नया  शृंगार करती है  i द्वैत-अद्वैत जब  मिल जाते है तभी अविराम सच्चिदानंद की प्राप्ति होती है i भौतिक शरीर जब सूक्ष्म की ओर बढ़ता है तब श्रव्यातीत श्रव्य हो जाता है i अनाहत नाद सुनायी पड़ता है और गोपनीयता तिरोहित हो जाती है  i  दोहे है या अध्यात्म की पिटारी  i  साधुवाद i

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 17, 2014 at 10:54am

 सधें नियत मंतव्य "बहुत खूब , तीनों ही दोहे बहुत सुन्दर हैं , बधाई आदर डॉo प्राची सिंह। 

Comment by Shyam Narain Verma on October 17, 2014 at 10:08am

बहुत सुंदर दोहें हार्दिक बधाई स्वीकार करें...

 सादर..............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
4 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service