वीर हैं सपूत सारे, भारती के नैन-तारे!
युद्धभूमि में सदैव झंडा गाड़ देते हैं!!
प्रचंड तेज भाल पे,चाहे हो द्व्ंद्व काल से!
भारती के शत्रुओं का,सीना फाड़ देतेहै!!
विश्व धाक मानता है,वीरता को देख देख !
बड़े बड़ों को भी सदा,ये पछाड़ देते है!!
वज़्र के समान देह,नैनों में प्रचंड आग!!
काँप जाता शत्रु जब ,ये दहाड़ देते है!
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राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
Dear Pathak ji,sneh.
Pls.send your mobile no.so that I can talk to you.I will be In India at Surat since21-09-14 to 24-09-14 after that I will depart to attend International Sanskrit Sammelan at Rajbhavan ,Dehradoon which is going to be held from 26 to 28 sep.14 .
yours
dr.Gunshekhar
बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी। … सादर
दीपक जी
वीर सैनिको के सम्मान में लिखी गयी इस कविता में छिपी आपकी देश भक्ति और आपके ओजस्वी जज्बे को सलाम i
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