For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल-पीठ पर वो बार करने का हुनर

आँसुओं से हम गजल लिखते रहे
कागजों में दर्द बन बिकते रहे

वो पराये हो चुके थे अब तलक

और हम अपना समझ झुकते रहे

पीठ पर वो बार करने का हुनर
उम्र भर हम याद ही करते रहे

हद से ज्यादा हम हुये जब गमजदा 
बारबा वो खत तेरा पढ़ते रहे 

तू गया कितने जलाकर आशना

आशना वो आज तक जलते रहे

हम समझ कर आदमी को आदमी
साथ हम शैतान के चलते रहे

उमेश कटारा

मौलिक व अप्रकाशित
 

Views: 651

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 18, 2014 at 1:40am

बधायी स्वीकारें आदरणीय..

सुझाव समीचीन हैं..

सादर

Comment by umesh katara on June 11, 2014 at 12:49pm

शुक्रिया डा.प्राची सिंह जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 10, 2014 at 10:38pm

बहुत मर्मस्पर्शी भाव समेटे हैं इन अशआरों में आ० उमेश कटारा जी 

बहुत बहुत बधाई 

मतले में इता दोष के साथ ही अंतिम शेर में हम काफिया शब्द भी सही नहीं है..एक बार देख लें 

Comment by umesh katara on June 9, 2014 at 9:58pm

shukriya coontee mukerji ji  

apka

Comment by umesh katara on June 9, 2014 at 9:57pm

शुक्रिया narendrasinh chauhan sahb

Comment by coontee mukerji on June 8, 2014 at 3:49pm

हम समझ कर आदमी को आदमी
साथ हम शैतान के चलते रहे....हमारे आसपास कितने असमाजिक तत्व घूमते रहते हैंलेकिन हम जान नहीं पाते हैं.अच्छी गजल के लिए दाद कूबूल करें.

Comment by umesh katara on June 8, 2014 at 8:07am

आदरणीय शिज्जू शंकर जी शुक्रिया ,,कृपया स्पष्ट इंगित करें मेरी गजल के दोष वगैरह की जानकारी कम ही है सर

Comment by umesh katara on June 8, 2014 at 8:06am

शुक्रिया राजेश कुमारी जी

Comment by umesh katara on June 8, 2014 at 8:05am

शुक्रिया दीपिका जी

Comment by umesh katara on June 8, 2014 at 8:05am

शुक्रिया मीना पाठक जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
14 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service