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दोहा -चुनाव (प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा)

नारी नेता जीव दो, लीला अपरम्पार
नेता देश उजाड़ते, रचती घर को नार

नेता हमको चाहिए, बूझे जन की बात
सूरज बन चमका करे, दिन हो या फिर रात

वोट जरूरी है बहुत, देना सोच विचार
निर्भय हो मत डालना, जन्म-सिद्ध अधिकार

धर्म-कर्म के नाम पर, मत डालो तुम वोट
गरल बहुत हम पी चुके, रहे न कोई खोट

सात बजे से शुरू हो, छः पर होता अंत
कार्य करें सब समय से, रखते गुण यह संत

साथ-साथ हम सब चलें, पावन यह त्यौहार
योग्य व्यक्ति को ही चुनें, हो स्थिर नव-सरकार

लाइन लंबी देखकर, लौट न आना भ्रात
बहुत जरूरी दान ये, होगा नया प्रभात

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
मौलिक / अप्रकाशित
२०.०४.२०१४

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 23, 2014 at 6:51am

बहुत सुंदर दोहावली, हर एक दोहा सार्थक सन्देश देता हुआ

साथ-साथ हम सब चलें, पावन यह त्यौहार
योग्य व्यक्ति को ही चुनें, हो स्थिर नव-सरकार.............यह दोहा बहुत सुंदर लगा, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय प्रदीप जी

Comment by Satyanarayan Singh on April 22, 2014 at 10:08pm

आदर्श चुनावी उत्सवधर्मिता निर्वहन का  समुपदेशन इन सुन्दर दोहावली के माध्यम से आपने किया है आदरणीय हार्दिक बधाई स्वीकार करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 22, 2014 at 5:36pm

आदरणीय प्रदीप भाई , सुन्दर दोहा वली के लिये आपको बधाइयाँ ॥

Comment by कल्पना रामानी on April 21, 2014 at 11:09pm

बहुत सुंदर सभी दोहे अच्छे लगे, आपको मन से बधाई आदरणीय कुशवाहा जी

Comment by Shyam Narain Verma on April 21, 2014 at 4:52pm
यथार्थ भाव रचित सुन्दर और सामयिक दोहे , हार्दिक बधाई ....................................
Comment by बृजेश नीरज on April 21, 2014 at 10:47am

 वाह! बहुत सुन्दर दोहे! मतदान को प्रेरित करती इस सुन्दर दोहावली पर आपको हार्दिक बधाई!

जय हो! मंगलमय हो!

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