For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहा -चुनाव (प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा)

नारी नेता जीव दो, लीला अपरम्पार
नेता देश उजाड़ते, रचती घर को नार

नेता हमको चाहिए, बूझे जन की बात
सूरज बन चमका करे, दिन हो या फिर रात

वोट जरूरी है बहुत, देना सोच विचार
निर्भय हो मत डालना, जन्म-सिद्ध अधिकार

धर्म-कर्म के नाम पर, मत डालो तुम वोट
गरल बहुत हम पी चुके, रहे न कोई खोट

सात बजे से शुरू हो, छः पर होता अंत
कार्य करें सब समय से, रखते गुण यह संत

साथ-साथ हम सब चलें, पावन यह त्यौहार
योग्य व्यक्ति को ही चुनें, हो स्थिर नव-सरकार

लाइन लंबी देखकर, लौट न आना भ्रात
बहुत जरूरी दान ये, होगा नया प्रभात

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
मौलिक / अप्रकाशित
२०.०४.२०१४

Views: 638

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 23, 2014 at 6:51am

बहुत सुंदर दोहावली, हर एक दोहा सार्थक सन्देश देता हुआ

साथ-साथ हम सब चलें, पावन यह त्यौहार
योग्य व्यक्ति को ही चुनें, हो स्थिर नव-सरकार.............यह दोहा बहुत सुंदर लगा, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय प्रदीप जी

Comment by Satyanarayan Singh on April 22, 2014 at 10:08pm

आदर्श चुनावी उत्सवधर्मिता निर्वहन का  समुपदेशन इन सुन्दर दोहावली के माध्यम से आपने किया है आदरणीय हार्दिक बधाई स्वीकार करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 22, 2014 at 5:36pm

आदरणीय प्रदीप भाई , सुन्दर दोहा वली के लिये आपको बधाइयाँ ॥

Comment by कल्पना रामानी on April 21, 2014 at 11:09pm

बहुत सुंदर सभी दोहे अच्छे लगे, आपको मन से बधाई आदरणीय कुशवाहा जी

Comment by Shyam Narain Verma on April 21, 2014 at 4:52pm
यथार्थ भाव रचित सुन्दर और सामयिक दोहे , हार्दिक बधाई ....................................
Comment by बृजेश नीरज on April 21, 2014 at 10:47am

 वाह! बहुत सुन्दर दोहे! मतदान को प्रेरित करती इस सुन्दर दोहावली पर आपको हार्दिक बधाई!

जय हो! मंगलमय हो!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
23 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
23 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
23 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service