For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चलो यूँ ही समझा लें मन को …

मैं गिड़गिड़ाता रहा हूँ
रात दिन
तुम सबके सामने
जितने भी सम्बन्ध हो
कल आज और कल के
इस उम्मीद के साथ /कि
तुम थोड़ा पिघलोगे
भले ही अनिच्छा से
मेरा मान रखोगे
यह भ्रम /जीवन भर
साथ चलता रहा है
इसीलिये सब सहा है
यह सुनते ही तुम
मेरे विरोध में
खड़े हो जाओगे
और शायद फिर
मुझे गिड़गिड़ाता पाओगे
मैं अपना वक्तव्य बदलता हूँ
और इसे सार्वभौम /करता हूँ
फिर तुम्हारी और अपनी

ओर से कहता हूँ
मैं
मुझे लगता है अनुभव हूँ
एक उम्र का
संभवतः हो सकता हूँ
दिशा सूचक /भले या बुरे का
माना कि सब कुछ आपेक्षिक है
हर व्यक्ति के लिये
माना कि
मेरा सच /तुम्हारा नहीं
मेरा गंतव्य तुम्हारा मंतव्य नहीं
तुम उगते सूर्य हो /ज्ञान हो
प्रतिस्पर्धा हो /तर्क हो /अनूठे हो
इमोशंस /सेंटीमेंट्स /पेट्रिओटिज्म
इन निरर्थक शब्दों का ढोना
तुम्हें गवारा नहीं
इन सबका रोना
मर्यादा /विनय/सामाजिकता /शिष्टाचार
कहाँ है अब नये समाज का आधार ?
कोई नहीं होता ख़ास
सबके सब बिंदास …
संबंधों के बीच
गिड़गिड़ाना
परिस्थितियों का
हृदय शूल सा पिड़ाना
क्या जीवन की निरंतरता के
पड़ाव होते होंगे ?
जब सारा जग हँसता है
तब कुछ तो रोते होंगे …
चलो यूँ ही समझा लें मन को …

-ललित मोहन पन्त

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 832

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by dr lalit mohan pant on April 24, 2014 at 12:27am

dhanywaad geet ji aapke protsahan ke liye  ...

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 20, 2014 at 12:34am

अंतर में उठे अति गहन विश्लेषण को बहुत सहजता से समझाती हुई रचना, बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय ललित जी

Comment by dr lalit mohan pant on April 11, 2014 at 11:42pm

Omprakash Kshatriy,कल्पना रामानी ,Meena Pathak ji aap sabke protsahan ke liye hriday se aabhaar ....

Comment by Meena Pathak on April 10, 2014 at 4:51pm

चलो यूँ ही समझा लें मन को …

बहुत सुन्दर रचना ... बधाई 

Comment by कल्पना रामानी on April 4, 2014 at 10:54pm

मन में उठते हुए भावों की गहन और सार्थक अभिव्यक्ति के लिए आपको हार्दिक बधाई

Comment by Omprakash Kshatriya on April 2, 2014 at 3:07pm

सरल सहज भाषा में सुन्दर कथ्य 

Comment by dr lalit mohan pant on March 28, 2014 at 9:51pm

Dr.Prachi Singh ji mujhe achchha laga ki meri baat aap tak pahunch paai  ...aabhar aur dhanywaad .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 24, 2014 at 10:46am
संबंधों के अपनेपन पराएपन के बीच स्वयं को विवश पाती ... अपने आप को समझती समझाती मनोभावों की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है आ० डॉ० ललित मोहन पन्त जी..आपको हार्दिक बधाई
Comment by dr lalit mohan pant on March 13, 2014 at 1:10am

rajesh kumari जी धन्यवाद आपकी सराहना के लिये  … 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 12, 2014 at 11:50am

मर्यादा /विनय/सामाजिकता /शिष्टाचार 
कहाँ है अब नये समाज का आधार ? 
कोई नहीं होता ख़ास 
सबके सब बिंदास … 
संबंधों के बीच 
गिड़गिड़ाना 
परिस्थितियों का 
हृदय शूल सा पिड़ाना 
क्या जीवन की निरंतरता के 
पड़ाव होते होंगे ?
जब सारा जग हँसता है 
तब कुछ तो रोते होंगे … 
चलो यूँ ही समझा लें मन को …मन के भीतर उठते अंतर्द्वंद से निकले भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति ,बधाई आपको डॉ० ललित पन्त जी  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
23 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service