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कुछ कह मुकरियां

१. लगे अंग तो तन महकाए,

जी  भर देखूं  जी में आये,

कभी कभी पर  चुभाये शूल,

का सखी साजन ? ना सखी फूल.

 

 

२. गोदी में सर रख कर सोऊँ,

मीठे मीठे ख्वाब में खोऊँ,

अंक में लूँ, लगाऊं छतिया.

का सखी साजन? ना सखी तकिया .

 

 

३ उससे डर, हर कोई भागे,

बार बार वह लिख कर माँगे.

कहे देकर फिर करो रिलैक्स.

का सखी साजन? ना सखी टैक्स ..

 

४. गाँठ खुले तो इत उत डोले,

जिधर हवा उधर ही हो  होले,

कोई नियत ना कोई ठांव,

का सखी साजन ? ना सखी नाँव.

 

५. गोद बिठा कर जगत  घुमाये ,

तरह तरह के दृश्य दिखाए, 

बिना उर्जा के रहे बेकार,

का सखी साजन ? ना सखी कार.

नीरज कुमार नीर 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 886

Comment

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Comment by Neeraj Neer on March 9, 2014 at 7:38pm

चौथी मुकरी की तीसरी पंक्ति को यूँ पढ़ें : 

जिधर हवा हो उधर ही होले 

edit करने में मैंने गड़बड़ कर दी .

Comment by Neeraj Neer on March 9, 2014 at 7:32pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीया  डॉ प्राची सिंह साहिबा . आपको  कह मुकरियां अच्छी लगी मेरा प्रयास सार्थक हुआ . चौथी कह मुकरी में शब्द आगे पीछे थे उन्हें मैंने सुधार लिया है .. तीसरी कह मुकरी को कुछ ऐसा किया है 

उससे डर, हर कोई भागे,

वो मेरे पीछे, मैं आगे 

कहे देकर फिर करो रिलैक्स..  

का सखी साजन? ना सखी टैक्स..

पांचवीं कह मुकरी को निम्नवत कर दिया : 

गोद बिठा कर जगत  घुमाये ,

तरह तरह के दृश्य दिखाए, 

बिना शक्ति  के रहे बेकार,

का सखी साजन ? ना सखी कार

..... आपका सादर आभार .. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 6, 2014 at 12:44pm

आपकी गंभीर अतुकांत रचनाओं को देखने के बाद आपको कहमुकरी जैसी चुलबुली विधा पर कलम आजमाईश करते देखना बहुत सुखद लग रहा है

कार नाँव तकिया टैक्स और फूल को आधार बना  कहमुकरियों पर सुन्दर प्रयास हुआ है, मेरे हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित हैं 

तीसरी कहमुकरी में भागे और माँगे के तुक मिलान के साथ ही तीसरी पंक्ति की मात्रिकता को एक बार पुनः देखें 

चौथी कह्मुकरी की दूसरी पंक्ति में भी शब्दों को कुछ आगेपीछे किये जाने की आवश्यकता लगी 

पांचवी कह्मुकरी की तीसरी पंक्ति में भी मात्रा बढ़ रही है, देख लीजियेगा 

सार्थक प्रयास बना रहे, यही शुभकामनाएं हैं 

सादर.

 

Comment by Neeraj Neer on March 5, 2014 at 8:45am

आपका हार्दिक आभार आ. माहेश्वरी कनेरी जी ...

Comment by Maheshwari Kaneri on March 4, 2014 at 4:56pm
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई
Comment by Neeraj Neer on March 4, 2014 at 12:42pm

aapka haardik aabhar aadarniya Laxman Prasad ladiwala ji. 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 4, 2014 at 9:50am

सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई 

Comment by Neeraj Neer on March 3, 2014 at 7:13pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे साहब ..

Comment by vijay nikore on March 3, 2014 at 10:40am

अति सुन्दर और मनोहारी प्रस्तुति। बधाई।

Comment by Neeraj Neer on March 3, 2014 at 9:19am

हार्दिक आभार आ. अनिल कुमार अलीन जी .. 

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