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जब सब कुछ था
मेरे पास
जो
जीने के लिए काफी था
तुम्हारा प्यार,
तुम्हारा साथ,
तुम्हारा समय
तुम्हारा विश्वास
हमारा साहस
यही सब
मेरी बहुमूल्य पूंजी थी
वो
उड़ान भरते
सुनहरे सपने
जो
हम दोनों ने कभी देखे थे
दुनिया
अपने कदमों में थी
तो किसकी लगी नज़र ?
जो छूटा ...
तुम्हारा प्यार
तुम्हारा साथ
क्यों रुकीं
वो सांसें
वो जिन्दगी
टूटीं उम्मीदें
टूटे सपने
और
साथ ही
टूट गया
मेरा भरोसा
मेरा साहस
शायद
नहीं नहीं
नहीं कभी नहीं
खोयेगा
मेरा धैर्य
मेरा विश्वास
नहीं टूटेगा
मेरा साहस
क्योंकि
तुम
हाँ तुम हो
हमेशा मेरे साथ
मेरी हिम्मत बन
दोगे मुझे प्रेरणा
आगे बढ़ने की
..............................
मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by kalpna mishra bajpai on February 27, 2014 at 7:24pm

आदरणीया सरिता जी सुंदर रचना के लिए बधाई /सादर

Comment by Sarita Bhatia on February 27, 2014 at 5:20pm

आदरणीय ब्रह्मचारी जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on February 27, 2014 at 5:19pm

शुक्रिया कल्पना दी स्नेह बरसाते रहे 

Comment by Sarita Bhatia on February 27, 2014 at 5:19pm

आदरणीय जितेन्द्र जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on February 27, 2014 at 5:19pm

राजेश दी आभार स्नेह बनाये रखें 

Comment by Sarita Bhatia on February 27, 2014 at 5:18pm

शुक्रिया लाल बिहारी जी 

Comment by S. C. Brahmachari on February 26, 2014 at 5:29pm
श्रद्धा और विश्वास हो तो साईं का भी सहारा हो जाता है - साईं संदेश भी तो है - श्रद्धा और सबुरी ।
धैर्य ,विश्वास और साहस पर भरोसा बढ़ाती अच्छी रचना ।
Comment by कल्पना रामानी on February 25, 2014 at 10:43pm

बहुत सुंदर भावपूर्ण कविता सरता जी, बहुत बहुत बधाई आपको/सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 25, 2014 at 9:32pm

बहुत सुंदर रचना, बधाई आदरणीया सरिता जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 25, 2014 at 4:42pm

दिल के जज्बातों को अच्छे शब्द दिए हैं सुन्दर प्रस्तुति 

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