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1-विवशता

मुश्किल वक्त मैं उसकी मदद नहीं कर पाया

पता है क्यों?

वह डरे व् फसे जानवर की तरह खूँखार हो गया था//

२-लौट आया

मैं वहाँ से लौट तो आया 

लेकिन खुद को अधूरा छोड़कर//

३-विवादित विचार 

 

उनका सम्बन्ध इसलिए टूटा

क्यूंकि वे 

विवादित विचारों तक ही सिमटे रहे//

 

४-अकेलापन

बाज़ार के अकेलेपन से इतना ऊब गया हूँ कि

अपना ज्यादा से ज्यादा समय खुद के साथ बिताता हूँ//

५-शेष

 मृत सपने

सूनी रातों का बूढ़ा कंकाल

धूल से पटी तस्वीरें

तुम्हे देने के लिए बस इतना ही बचा है 

******************************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 509

Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 14, 2014 at 4:42pm

भाई रामशिरोमणिजी, आपके इस प्रयास से मन खुश है. आपको सुझाव भी सटीक मिले हैं. उनपर समुचित ध्यान दीजियेगा.
क्षणीकाओं के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by ram shiromani pathak on March 4, 2014 at 8:10pm

हार्दिक आभार आदरणीय अखिलेश जी। ।सादर 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 23, 2014 at 1:12pm

आदरणीय राम  भाई,

क्षणिकाएं अच्छी लगी। हार्दिक बधाई ।

बाज़ार के अकेलेपन से इतना ऊब गया हूँ कि

अपना ज्यादा से ज्यादा समय खुद के साथ बिताता हूँ//

 बाज़ार के भीड़ भाड़  से इतना ऊब गया हूँ कि //  ज़्यादा सही लग रहा है, इसलिए तो खुद के साथ एकांत में समय बिता रहे हो ।

........सादर्

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 1:57pm

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण जी.........   सादर 

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 1:56pm

हार्दिक आभार आदरणीय भाई जीतेन्द्र जी.........   सादर 

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 1:56pm

हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज  जी.........   सादर 

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 1:54pm

हार्दिक आभार आदरणीया सरिता जी.........   सादर 

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 1:53pm

हार्दिक आभार आदरणीय उपाध्याय जी.........   सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 22, 2014 at 11:39am

-शेष

मृत सपने

सूनी रातों का बूढ़ा कंकाल

धूल से पटी तस्वीरें

तुम्हे देने के लिए बस इतना ही बचा है -----बहुत खूब 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 22, 2014 at 8:39am

बहुत भावनात्मक क्षणिकाएं , बधाई आदरणीय राम भाई

कृपया ध्यान दे...

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