For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1-विवशता

मुश्किल वक्त मैं उसकी मदद नहीं कर पाया

पता है क्यों?

वह डरे व् फसे जानवर की तरह खूँखार हो गया था//

२-लौट आया

मैं वहाँ से लौट तो आया 

लेकिन खुद को अधूरा छोड़कर//

३-विवादित विचार 

 

उनका सम्बन्ध इसलिए टूटा

क्यूंकि वे 

विवादित विचारों तक ही सिमटे रहे//

 

४-अकेलापन

बाज़ार के अकेलेपन से इतना ऊब गया हूँ कि

अपना ज्यादा से ज्यादा समय खुद के साथ बिताता हूँ//

५-शेष

 मृत सपने

सूनी रातों का बूढ़ा कंकाल

धूल से पटी तस्वीरें

तुम्हे देने के लिए बस इतना ही बचा है 

******************************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 509

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 14, 2014 at 4:42pm

भाई रामशिरोमणिजी, आपके इस प्रयास से मन खुश है. आपको सुझाव भी सटीक मिले हैं. उनपर समुचित ध्यान दीजियेगा.
क्षणीकाओं के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by ram shiromani pathak on March 4, 2014 at 8:10pm

हार्दिक आभार आदरणीय अखिलेश जी। ।सादर 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 23, 2014 at 1:12pm

आदरणीय राम  भाई,

क्षणिकाएं अच्छी लगी। हार्दिक बधाई ।

बाज़ार के अकेलेपन से इतना ऊब गया हूँ कि

अपना ज्यादा से ज्यादा समय खुद के साथ बिताता हूँ//

 बाज़ार के भीड़ भाड़  से इतना ऊब गया हूँ कि //  ज़्यादा सही लग रहा है, इसलिए तो खुद के साथ एकांत में समय बिता रहे हो ।

........सादर्

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 1:57pm

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण जी.........   सादर 

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 1:56pm

हार्दिक आभार आदरणीय भाई जीतेन्द्र जी.........   सादर 

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 1:56pm

हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज  जी.........   सादर 

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 1:54pm

हार्दिक आभार आदरणीया सरिता जी.........   सादर 

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 1:53pm

हार्दिक आभार आदरणीय उपाध्याय जी.........   सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 22, 2014 at 11:39am

-शेष

मृत सपने

सूनी रातों का बूढ़ा कंकाल

धूल से पटी तस्वीरें

तुम्हे देने के लिए बस इतना ही बचा है -----बहुत खूब 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 22, 2014 at 8:39am

बहुत भावनात्मक क्षणिकाएं , बधाई आदरणीय राम भाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
4 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
23 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service