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थोड़ा हँस लो थोड़ा गा लो [गीत]

आओ कुछ तो समय निकालो
थोड़ा हँस लो थोड़ा गा लो |

जीवन की आपाधापी में
अपने पीछे छूट न जाएँ
नन्हे सपने टूट न जाएँ
जरा नया उत्साह जगा लो

थोड़ा हँस लो.......

अपने हम से रूठ गए जो
जीवन पथ पर छूट गए जो
उनकी यादों से अब निकलो
रूठ गए जो उन्हें मना लो

थोड़ा हँस लो........

देख समय ने करवट खाई
फिर क्यों है मायूसी छाई
दे दो गम को आज विदाई
बुरे समय को हँस कर टालो

थोड़ा हँस लो........

दिल सच्चा हो ना हो झूठा 

कोई ना हो हमसे रूठा
रिश्ता उपजे एक अनूठा
दिल से अपनों को अपना लो

थोड़ा हँस लो.....

बात करेंगे बात बनेगी
सारी दुनिया तुम्हें सुनेगी
नैया इक दिन पार लगेगी
खुशियाँ बांटो खुशियाँ पा लो

थोड़ा हँस लो.....

अब समय ने ली अंगड़ाई
क्यों है अब भी चुप्पी छाई
सबने किस्मत स्वयं बनाई
अपनी किस्मत स्वयं बनालो

थोड़ा हँस लो........

जब कारवाँ छूट जाएगा
स्वयं को अकेला पाएगा
प्रभु नाम ही संग जाएगा
अपनी यात्रा सफल बनालो

थोड़ा हँस लो........

...................................

.....मौलिक व् अप्रकाशित.....

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Comment

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Comment by Sarita Bhatia on February 13, 2014 at 9:16am

आदरणीय पंकज जी obo पर आपकी प्रतिक्रिया पहली बार मिली मन खुश हो गया 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 12, 2014 at 10:55pm

बात करेंगे बात बनेगी
सारी दुनिया तुम्हें सुनेगी
नैया इक दिन पार लगेगी
खुशियाँ बांटो खुशियाँ पा लो

थोड़ा हँस लो..................बहुत सुंदर मनभावन गीत

हार्दिक बधाई आपको आदरणीया सरिता जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 12, 2014 at 10:14pm

आदरणीया सरिता जी , बहुत सुन्दर गीत रचना हुई है , बहुत सुंदर सन्देश है ॥ हार्दिक बधाई स्वीकार करें ॥

Comment by नादिर ख़ान on February 12, 2014 at 9:59pm

बात करेंगे बात बनेगी
सारी दुनिया तुम्हें सुनेगी
नैया इक दिन पार लगेगी 
खुशियाँ बांटो खुशियाँ पा लो

थोड़ा हँस लो.....

आदरणीया सरिता जी बहुत सुंदर गीत .. मनभावन ...

जब कारवाँ छूट जाएगा 
स्वयं को अकेला पाएगा ... इन पंक्तियों मे गेयता बाधित होती सी लग रही है ।

Comment by shashi purwar on February 12, 2014 at 9:56pm

सरिता जी सुन्दर गीत अभिव्यक्ति हेतु आपको हार्दिक बधाई , थोडा सा शिल्प को और प्रभावशाली बना सकते है थोडा तुकांत पर और कार्य की जरुरत है , ऐसा मेरा मानना है क्षमा सहित। । शेष आपका गीत बहुत सुन्दर है हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by vandana on February 12, 2014 at 9:32pm


देख समय ने करवट खाई
फिर क्यों है मायूसी छाई
दे दो गम को आज विदाई 
बुरे समय को हँस कर टालो

बहुत सुन्दर भाव हैं आदरणीया इस गीत के 

Comment by Pankaj Trivedi on February 12, 2014 at 8:48pm

काफ़ी दिनों बाद आपके गीत को पढकर मन प्रफुल्लित हो गया... बधाई 

Comment by Sarita Bhatia on February 12, 2014 at 7:27pm

आदरणीय शिज्जू जी हार्दिक आभार ...सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 12, 2014 at 7:04pm

आदरणीया सरिता जी बहुत अच्छी रचना है बहुत बहुत बधाई

Comment by Sarita Bhatia on February 12, 2014 at 5:51pm

हार्दिक आभार श्याम जी 

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