For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत - नव वर्ष से है हम सबको। -- शशि पुरवार

नये वर्ष से है ,हम सबको
उम्मीदें कुछ खास

आँगन के बूढ़े बरगद की
झुकी हरिक डाली
मौसम घर का बदल गया ,

फिर
विवश हुआ माली
ठिठुर रहे है सर्द हवा में
भीगे से अहसास

दरक गये दरवाजे घर के
आंधी थी आयी
तिनका तिनका भी उजड़ गया
बेसुध है माई
जतन कर रही बूढी साँसे
आये कोई पास

चूँ चूँ करती नन्हीं चिड़िया
नयी जगह घबराय
दुनियाँ उसकी बदल गयी है
कौन उसे समझाय
ऊँची ऊँची अटारियों पे
सूनेपन का वास

नए वर्ष के आगमन का
पंछी गाते गीत
बागों की कलियाँ भी झूमे
भौरों का संगीत
नयी ताजगी ,नयी उमंगें
मन में है उल्लास
इस नये वर्ष से है सबको
उम्मीदें कुछ खास।

-- शशि पुरवार

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 718

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 10, 2014 at 2:19am

आदरणीया शशिजी, बरगद का बिम्ब सदा से अनुभवी, संवेदनशील, पारिवारिक और उम्रदराज़ व्यक्ति का ही होता है लेकिन उसके प्रयोग में जो सावधानी बरती जानी चाहिये उसमें हुई चूक के कारण इंगित किया गया है.
आपकी इस सकारात्मक कोशिश पर मेरी हार्दिक बधाइयाँ और असीम शुभकामनाएँ प्रेषित हैं.
सादर

Comment by कल्पना रामानी on January 9, 2014 at 10:36pm

शशि जी, नए वर्ष की उम्मीदों को जगाती सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये।

Comment by shashi purwar on January 9, 2014 at 10:04pm

माननीय सौरभ जी , प्राची जी ,

 १ आपने आँगन के बरगद वाला कथ्य उठाया है , मुझे ज्ञात है कल्पना जी के नवगीत पर इस पर चर्चा हो चुकी है , फिर भी मैंने इसका प्रयोग किया , आप देखेंगे कई रचनाओ में  इसका प्रयोग देखा गया है , मैंने इसे एक ह बिम्ब के रूप में लिया है  , घर के बुजुर्ग की तुलना बरगद से की है इसीलिए आँगन का बरगद लिखा है ,

२ प्राची जी हरिक को हर एक के रूप में ही प्रयोग किया था , पर अब बदलाव कर दिया है , इस शब्द को भी कई रचनाओ में प्रयुक्त होते देखा था , पर मुझे संतुष्टि नही हुई इसीलिए बदल दिया , वैसे इन शब्दो का प्रयोग  नवगीत में करना चाहिए या नहीं , थोडा विस्तार से बताएं , कुछ शब्द उर्दू में भी प्रयोग होते है ,

प्राची जी , आपने आंचलिकता के सम्बन्ध में मार्गदर्शन प्रदान किया , इस पक्ष के बारे में आपसे थोडा और जानना चाहूंगी , कृपया थोडा विस्तार पूर्वक बताएं।  ३ बंद , उस छोटे बच्चे को लेकर लिखा गया है जब परिवार अलग होते है तो एकाकीपन बच्चे नहीं कह सकते , और पूरा नवगीत एक परिवार के तीन भाव को लेकर बनाया है ,

आपके और सौरभ जी के कमेंट्स की तो सदैव प्रतीक्षा रहती है , यह चर्चा हर बार बहुत कुछ  सिखलाती है

सादर

शशि पुरवार

Comment by shashi purwar on January 9, 2014 at 9:51pm

नमस्ते सौरभ जी , प्राची जी , देर से आने के लिए माफ़ी चाहूंगी , नेट इतने दिनों से इतना परेशां कर रहा कि क्या कहे , अभी शुरू हुआ तो सबसे पहले सोचा रिप्लाई दे दूं नहीं तो कब बंद हो जाये कह नहीं सकते , यह मैंने ठीक करके लिखा था आपके समक्ष --- पुनः

नये वर्ष से है ,हम सबको
उम्मीदें कुछ खास

आँगन के बूढ़े बरगद की
झुकी हुई डाली
मौसम घर का बदल गया ,फिर
विवश हुआ माली
ठिठुर रहे है सर्द हवा में
नम हुये अहसास

दरक गये दरवाजे घर के
आंधी थी आयी
तिनका तिनका उजड़ गया फिर
बेसुध है माई
जतन कर रही बूढी साँसे
आये कोई पास

चूँ चूँ करती नन्हीं चिड़िया
समझ नहीं पाये
दुनियाँ उसकी बदल गयी है
कौन उसे बताये
ऊँची ऊँची अटारियों पे
निर्जनता निवास

नए वर्ष का देख आगवन
पंछी गाते गीत
बागों की कलियाँ भी झूमे
भ्रमर का संगीत
नयी ताजगी ,नयी उमंगें
मन में है उल्लास
नये वर्ष से है हम सबको
उम्मीदें कुछ खास।

-- शशि पुरवार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 8, 2014 at 8:41pm

आदरणीया शशिजी, जबतक मैं आपकी इस रचना पर आऊँ, पाठकों ने बहुत कुछ साझा कर दिया है. डॉ. प्राची ने सटीक बातें कही हैं. शायद आपने अभी तक उन्हें देखा नहीं है. वैसे पंक्तियों की मात्रिकता को प्रारम्भिक स्तर पर सही कहा जा सकता है.

’आँगन में बरगद’ आदि बिम्बों को लेकर आदरणीया कल्पनाजी के नवगीत पर सार्थक चर्चा भी हो चुकी है.

आप यदि मंच पर रेगुलर रहतीं तो संभवतः आपको भी जानकारी हो चुकी होती.

बहरहाल, प्रस्तुति हेतु बधाई.. .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 5, 2014 at 7:26pm

नववर्ष आगमन पर नए सवप्नों के साथ ही मन उल्लास से भर जाता है..नयी उम्मीदें मन में जन्मती हैं इस एहसास को पिरोते हुए नवगीत पर सुन्दर प्रयास हुआ है आदरणीया शशि पुरवार जी..जिसके लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकारिये 

पर इस प्रस्तुति के शिल्प पर अवश ही कुछ कहना चाहूँगी

* नवगीत में गेयता कई जगह बाधित है.. मात्रिकता कहीं 15-10, कहीं 15 -11, तो कहीं 16 -10 या 16-11 हो रही है.

*//आँगन के बूढ़े बरगद की.//.................आँगन में बरगद तो अवश्य ही नहीं लगाया जाता..आँगन में तो तुलसी, हरसिंगार, नीम आदि होते हैं...बरगद या पीपल से तो लोग वैसे ही दूर रहते हैं.
*//झुकी हरिक डाली// ....................ये हर एक को ही हरिक लिखा गया है क्या ?

*//तिनका तिनका भी उजड़ गया//.............इसमें भी शब्द ज़बरदस्ती का लग रहा है 

*तीसरे बंद में घबराय, समझाय जैसे शब्दों के माध्यम से आंचलिकता आरोपित सी लग रही है..क्योंकि आपके इस गीत की शैली आंचलिक नहीं है.

इन सभी बिन्दुओं पर यह नवगीत अभी और समय की मांग करता सा दीखता हैं ..

सादर शुभकामनाएं 

Comment by बृजेश नीरज on January 4, 2014 at 10:29pm

वाह! बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 4, 2014 at 5:31pm

आदरणीया शशि जी बेहद सुन्दर नवगीत रचा है आपने नव वर्ष के उपलक्ष्य में इस हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

आँगन के बूढ़े बरगद की .. इस पंक्ति पर पुनः विचार कर लें. सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 4, 2014 at 11:11am

नए वर्ष के आगमन का
पंछी गाते गीत 
बागों की कलियाँ भी झूमे
भौरों का संगीत
नयी ताजगी ,नयी उमंगें
मन में है उल्लास
इस नये वर्ष से है सबको
उम्मीदें कुछ खास।--------सुन्दर गीत रचना के लिए बधाई एवं नव वर्ष के मंगल कामनाए आदरणीया शशि पुरवार जी 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 3, 2014 at 8:16pm

शशि जी,,,,सुन्दर ,,,मनभावन,,,,नवगीत हेतु अनेकानेक बधाइयां आपको,,,,,,,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service