For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

थमते कदम आ जाइये

चाँद नभ में आ गया, अब आप भी आ जाइये.
सज गई तारों की महफ़िल, आप भी सज जाइये.
नींद सहलाती है सबको, पर मुझे छूती नहीं.
जानें आँखें पथ से क्यों,क्षणभर को भी हटती नहीं.
प्यासी नज़रों को हसीं, चेहरा दिखा तो जाइये.
कल्पना मेरी बिलखती, वेदना सुन जाइये.
सज गई तारों की महफ़िल, आप भी सज जाइये.
कब तलक मैं यूँ अकेला, इस तरह जी पाउँगा.
इस निशा- नागिन के विष को, किस तरह पी पाउँगा.
इस जहर में अधर का, मधु रस मिला तो जाइये
याद जो हरदम रहे, वो बात तो कर जाइये
सज गई तारों की महफ़िल, आप भी सज जाइये.
धीरे-धीरे नील नभ, धरती पे झुकता आ रहा है.
बादलों की गोद में अब, चाँद धंसता जा जा रहा है.
तन्हा है मापतपुरी, अब साथ तो दे जाइये.
सो गया सारा शहर, थमते कदम आ जाइये.
सज गई तारों की महफ़िल, आप भी सज जाइये.
गीतकार- सतीश मापतपुरी
मोबाइल - 9334414611

Views: 408

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 8, 2010 at 3:37pm
बहुत अच्छे सतीश जी - बहुत ही अच्छा गीत लिखा है, शब्द बहुत कोमल हैं और अभिव्यक्ति भी उतनी ही सुंदर ! मेरे कुछ सुझाव हैं अगर आपको पसंद आयें :

(1). //जानें आँखें पथ से क्यों,क्षणभर को भी हटती नहीं.//
// आँख जानें पथ से क्यों,क्षणभर को भी हटती नहीं.//

यहाँ कविता की निरंतरता बाधित हो रही प्रतीत होती है, इसलिए अगर यहाँ "जाने" शब्द का कर्म बदल दें और "आँखों" की जगह अगर "आँख" कर दें तो कविता की रवानी बरकरार रहेगी !

(2). //धीरे-धीरे नील नभ, धरती पे झुकता आ रहा है.
बादलों की गोद में अब, चाँद धंसता जा रहा है.//
इन पंक्तियों के अखीर पर शब्द "है" फालतू है, अगर इसको डिलीट कर दें तो बेहतर होगा, अर्थ भी वही रहेंगे और निरंतरता भी बनी रहेगी !
Comment by asha pandey ojha on June 7, 2010 at 10:10am
चाँद नभ में आ गया, अब आप भी आ जाइये.
सज गई तारों की महफ़िल, आप भी सज जाइये.
नींद सहलाती है सबको, पर मुझे छूती नहीं.
जानें आँखें पथ से क्यों,क्षणभर को भी हटती नहीं.waah Intazar kee ek mithee kashish hai aapke is geet me ..muhbbat kee mahak bhee ..bahut sundar
Comment by Rash Bihari Ravi on June 3, 2010 at 3:00pm
सो गया सारा शहर, थमते कदम आ जाइये.
सज गई तारों की महफ़िल, आप भी सज जाइये.
sundar ati sundar khubsurat
Comment by Kanchan Pandey on June 1, 2010 at 2:07pm
satish jee, aapki kaarigari ki mai kayal hu, bilkul sadharan aur har kisi ko samajh mey aaney waley shabdo ka paryog kar aap bahut hi achhi rachna kar daaltey hai, bahut badhiya,

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 1, 2010 at 9:01am
याद जो हरदम रहे, वो बात तो कर जाइये
सज गई तारों की महफ़िल, आप भी सज जाइये,

जय हो सतीश भाई, फिर एक बेहतरीन रचना प्रस्तुत किया है आप ने, जबरदस्त अभिव्यक्ति है,
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 31, 2010 at 9:46pm
चाँद नभ में आ गया, अब आप भी आ जाइये.
सज गई तारों की महफ़िल, आप भी सज जाइये.
bahut hi badhiya rachna hai satish bhai jee......
Comment by दुष्यंत सेवक on May 31, 2010 at 6:39pm
इस जहर में अधर का, मधु रस मिला तो जाइये बेहतरीन अभिव्यक्ति बहुत अच्छे सतीश जी
बादलों की गोद में अब, चाँद धंसता जा जा रहा है.
तन्हा है मापतपुरी, अब साथ तो दे जाइये.
सो गया सारा शहर, थमते कदम आ जाइये.
निश्चय ही इतने मासूम शब्दो को सुनकर तो महबूब को आना ही होगा....अति सुंदर रचना मपतपुरी जी
Comment by Admin on May 31, 2010 at 2:32pm
नींद सहलाती है सबको, पर मुझे छूती नहीं.
जानें आँखें पथ से क्यों,क्षणभर को भी हटती नहीं.
प्यासी नज़रों को हसीं, चेहरा दिखा तो जाइये.
कल्पना मेरी बिलखती, वेदना सुन जाइये.

वाह सतीश जी वाह, गज़ब लिखा है आपने ,बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति है ये, आप की प्रत्येक रचना कुछ अलग रंग लिये हुवे रहती है, ये भी रचना एक अलग रंग मे रंगी है, बहुत बहुत धन्यबाद मापतपुरी जी,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मुसाफ़िर जी "
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Feb 2
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Feb 1
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Feb 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service