For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नया साल है चलकर आया देखो नंगे पांव

आने वाले कल में आगे देखेगा क्या गाँव

 

धधक रही भठ्ठी में

महुवा महक रहा है

धनिया की हंसुली पर

सुनरा लहक रहा है  

कारतूस की गंध

अभी तक नथुनों में है

रोजगार गारंटी अब तक

सपनों में है

हो लखीमपुर खीरी, बस्ती

या, फिर हो डुमरांव

कब तक पानी पर तैरायें

काग़ज़ वाली नांव !

 

माहू से सरसों, गेहूं को

चलो बचाएं जी

नील गाय अरहर की बाली

क्यों चर जाएं जी

ठंडी रात में बूढ़ा-माई

बडबड नहीं करें

हम अपने हिस्से का सूरज

खुद ही चलो गढ़ें

धूप कड़ी हो तो दे जाएं

थोड़ी थोड़ी छाँव

ठंडी ठंडी पुरवाई से

बेहतर है पछियांव.. .

****

मौलिक एवं अप्राकाशित 

Views: 1111

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 27, 2014 at 10:36am

आ.राणा प्रताप जी का नव गीत पहली बार पढ़ा बस पढ़ती ही रह गई कारतूस की गंध से लेकर खेत खलियानों की गंध ने बाँध कर रखा वाह वाह जितनी तारीफ़  करो कम होगी अतिसुन्दर गीत बधाई आपको  

Comment by Ajay Agyat on January 9, 2014 at 9:14pm

अति सुंदर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 6, 2014 at 2:57pm

गाँव जब अपनी सम्पूर्णता के साथ मन में बसा हो और उसके लिहाज धमनियों में बहते हों तो रचनाओं विशेषकर नवगीतों के साथ सार्थक बर्ताव कर पाना किसी रचनाकार (नवगीत-कार) के लिए सरल नहीं होता. क्यों कि नवगीत की शैली, पद्य-विस्तार और उसकी वैधानिक सीमाएँ ही सबसे बड़ी बाधा बन कर सामने खड़ी हो जाती हैं. राणा भाई, आप उपरोक्त तीनों विन्दुओं को करीने से निबाह गये हैं. पहली बधाई तो यहीं.


दूसरी, बधाई इस गीत के होने पर. जिसके पहले बन्द में सामाजिक विसंगतिपूर्ण दशा उभर कर आयी है, तो दूसरे बन्द में खेत और उनपर आश्रित परिवार की दशा का संवेदनशील वर्णन हुआ है.
बहुत-बहुत मुबारक हो आपको नये कैलेण्डर की सभी तारीखें.
शुभ-शुभ
 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on January 5, 2014 at 7:33pm

आ0 राना भार्इ जी, अति मनभावन गीत। वाह! मजा आ गया। हार्दिक बधार्इ स्वीकारें। सादर

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on January 4, 2014 at 8:02pm
गजलकार से गीतकार तक।
ये अदा भी निराली है।
ठेस गाँव की खुशबू के साथ, उनकी समस्याओं से रूबरू कराते गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय राणा जी!
Comment by Neeraj Neer on January 3, 2014 at 12:16pm

बहुत सुन्दर नव गीत लिखा है आदरणीय ....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on January 2, 2014 at 9:08pm

बागी भैया, गीत पसंद करने के लिए शुक्रिया 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on January 2, 2014 at 9:07pm

आदरणीया डा ० प्राची जी यदि यह गीत आपके पास से गुजरा है तो यही इसकी सफलता है| गीत पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on January 2, 2014 at 9:06pm

आशीष नैथानी सलिल भाई जी गीत को मान देने के लिए शुक्रिया 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on January 2, 2014 at 9:05pm

आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी गीत पसंद करने के लिए हार्दिक  शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
20 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service