For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शुभारंभ है नए साल का//नवगीत//कल्पना रामानी

फिर से नई कोपलें फूटीं,

खिला  गाँव का बूढ़ा  बरगद।

शुभारंभ है नए साल का,

सोच, सोच है मन में गदगद।

 

आज सामने, घर की मलिका

को उसने मुस्काते देखा।

बंद खिड़कियाँ खुलीं अचानक,

चुग्गा पाकर पाखी चहका।

 

खिसियाकर चुपचाप हो गया,

कोहरा जाने कहाँ नदारद।

  

खबर सुनी है,फिर अपनों के

उस  देहरी पर कदम पड़ेंगे।

नन्हीं सी मुस्कानों के भी,

कोने कोने बोल घुलेंगे।

 

स्वागत करने डटे हुए हैं,

धूल झाड़कर चौकी मसनद।

 

लहकेगी तुलसी चौरे पर,

चौबारे चौपाल जमेगी।

नरम हाथ की गरम रोटियाँ,

बहुरानी सबको परसेगी।

 

पिघल-पिघल कर बह निकलेगा

दो जोड़ी नयनों से पारद।

बरगद के मन द्वंद्व छिड़ा है,

कैसे हल हो यह समीकरण।

रिश्तों का हर नए साल में,

हो जाता है बस नवीकरण।

 

अपने चाहे दुनिया छोड़ें,

नहीं छूटता पर ऊँचा पद।

मौलिक व अप्रकाशित

कल्पना रामाँनी

Views: 926

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on December 24, 2013 at 1:15pm

आद्रणीय श्याम नरेन जी प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on December 24, 2013 at 1:14pm

सादर धन्यवाद आदरणीय शिज्जु जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 23, 2013 at 8:59pm

बहुत बढ़िया आदरणीया कल्पना जी बहुत अच्छा गीत लिखा है आपने बहुत बहुत बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on December 23, 2013 at 4:35pm
बहुत सुंदर नवगीत...बहुत-बहुत बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 23, 2013 at 4:13pm

आदरणीया कल्पना जी , लाजवाब नवगीत की रचना की है आपने , आपको ढेरों बधाइयाँ ॥

Comment by कल्पना रामानी on December 23, 2013 at 12:05pm

सादर धन्यवाद मीना जी

Comment by Meena Pathak on December 23, 2013 at 12:00pm

बहुत सुन्दर नवगीत आ० कल्पना दी ... बधाई आप को | सादर 

Comment by कल्पना रामानी on December 23, 2013 at 11:47am

सादर धन्यवाद आदरणीय अविनाश जी

Comment by कल्पना रामानी on December 23, 2013 at 11:46am

आदरणीय गोपाल नारायण जी, गीत पसंद कर मनोबल बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद

Comment by AVINASH S BAGDE on December 23, 2013 at 11:37am

शुभारंभ है नए साल का 

कल्पना रामानी के 

नवगीत से......

स्वागत करने डटे हुए हैं,

धूल झाड़कर चौकी मसनद।...मुबारक हो...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
8 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
8 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
8 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service