For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - मेरे सम्मान की धज्जी उड़ाता है

1 2 2 2      1 2 2 2       1 2 2 2

मेरे किरदार पे वो शक जताता है

बिना ही बात वो तेवर दिखाता है

 

नहीं जो जानता रिश्तों के मतलब भी

मुझे वो प्यार की पट्टी पढ़ाता है

 

बता तो दूँ उसे औकात उसकी पर

मेरा ये दिल उसे अपना बताता है

 

*निवाले फेंककर दो वक़्त के मुझ पर

मेरे सम्मान की धज्जी उड़ाता है  

 

मुझे वो मारता है हर घड़ी हर पल

मगर तफ़तीश में जिंदा बताता है

*सशोधित

संजू शाब्दिता मौलिक व अप्रकाशित

Views: 892

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sanju shabdita on December 2, 2013 at 2:49pm

अदरणीय राजेश जी रचना आपको अच्छी लगी मैं आभारी हूँ । मैं मज़ाक की बातों को मज़ाक के तौर पर ही लेती हूँ ,हाँ अगर आपने यह बात गंभीरता से कही होती तो मैं जरूर इसका जवाब विस्तार से देती । वैसे तमाम विसंगतियों के बावजूद दिल उसे अपना ही बताता है ,और वो इस कमजोर कड़ी का भरपूर फायदा उठाता है ,इसी क्रम में वो प्यार की पट्टी भी पढ़ाता है । सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on December 2, 2013 at 11:53am

रचना तो अच्‍छी है पर इतना विरोधाभाष क्‍यों, दिल जिसे अपना बताता है वो प्‍यार की पट्टी कैसे पढ़ा सकता है, कहीं ये दिल ही तो दिलफरेब नहीं, बुरा ना मानें, कभी-कभी मैं मजाक भी कर लेता हूं, सादर

Comment by ram shiromani pathak on December 1, 2013 at 7:25pm

आदरणीया संजू जी बहुत ही शानदार ग़ज़ल,बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by sanju shabdita on December 1, 2013 at 3:16pm

आदरणीय जितेंद्र गीत जी ,गिरिराज भण्डारी जी ,शिज्जु जी ,सरिता जी ,अरुण अनंत जी ,वैद्यनाथ सारथी जी ,डॉ गोपाल जी

रचना अनुमोदन हेतु आप सभी की हृदय से आभरी हूँ ।

Comment by sanju shabdita on December 1, 2013 at 3:04pm

आदरणीया गीतिका जी आपने तो कमाल ही कर दिया ,खूब समझा आपने मेरे मन को ,शेर दर शेर जिस प्रकार से आपने मर्म को पकड़ा है वैसी अपेक्षा किसी सहृदय से ही की जा सकती है , मेरी समझ से सहृदयता आपका खास गुण है । रचना के विस्तृत अनुमोदन हेतु आपकी आभारी हूँ ।

Comment by sanju shabdita on December 1, 2013 at 2:55pm

,जैसे अंगार की स्याही में डुबो कर लिखे हों वाह

     अदरणीया राजेश जी रचना के मर्म को समझने हेतु आपकी आभारी हूँ । हौंसला आफजाई के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया ।

Comment by sanju shabdita on December 1, 2013 at 2:45pm

लेकिन ये कौन है जो

जिसे दिल आपका अपना बताता है 

वही सम्मान की धज्जी उड़ाता है    

संदीप जी यह कोई मेरी व्यक्तिगत समस्या नहीं अपितु समूचे स्त्रीजाति कि समस्या है । रचना अनुमोदन के लिए आपकी आभरी हूँ , आगे भी स्नेह बनाए रखें ।

Comment by sanju shabdita on December 1, 2013 at 2:37pm

लेकिन ये कौन है जो

जिसे दिल आपका अपना बताता है 

वही सम्मान की धज्जी उड़ाता है     

आदरणीय संदीप जी कोई एक हो तो बताऊँ ,ऐसे चरित्र तो समाज मे बहुतायत देखने को मिल ही जाते है । मैंने समाज की सच्चाई को ही ईमानदारी से अभिव्यक्त करने की कोशिस मात्र की है,स्व के माध्यम से सर्वानुभूति के शिखर तक पहुँचने की चेष्टा की है । फैसला आप सभी गुड़ीजनों के हांथ कि मेरा प्रयास कहाँ तक सार्थक है ।  

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 1, 2013 at 1:54pm

संजू जी

दिल के हर  पहलू को छूती है ये ग़ज़ल

लाजवाब  i बधाई हो i

Comment by Saarthi Baidyanath on December 1, 2013 at 1:38pm

नहीं जो जानता रिश्तों के मतलब भी

मुझे वो प्यार की पट्टी पढ़ाता है

मुझे वो मारता है हर घड़ी हर पल

मगर तफ़तीश में जिंदा बताता है.......उम्दा ! बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है मोहतरमा ....मुबारक 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service