छंद- द्रुतविलंबित
लक्षण - 12 वर्णों के चार चरणों वाले इस छंद के प्रत्येक चरण में 1 नगण 2 भगण तथा 1 रगण होता है I
111 211 211 212
प्रकट है तटबंध प्रवाहिका
नयन गोचर है सरिता नहीं
इक तना लघु था सहसा तना
न चरता पशु भी इक पास में I
सरित का कुछ गान हुआ नहीं
पवन का कुछ भान हुआ नहीं
विरल जीवन मात्र पिपीलिका
सघन है वन नीरव देश भी I
उस तने पर है सब जीव जो
मगन होकर वे सब पी रहे
सुरस जो बहता रिसता वहां
तनिक भी उनको भय है नहीं I
जगत में हम भी सब लींन यो
विकट पाश लिए यम है खड़ा
पर किसे उसकी परवाह है
हम धरा पर है जड़ जीव से I
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
आदरणीया
द्रुत बिलम्बित के अतुकांत होने की कोई अनिवार्यता नहीं है i मैंने छंदोत्सव में भाग लेने हेतु शीघ्रता में लिखा i दुर्विपाक से मेरी त्रुटि एवं अज्ञानता के कारण रचना प्रतिभाग भी नहीं ले पाई i भविष्य में कभी तुकांत पर भी माँ की कृपा चाहूँगा i बस आप मित्रो का प्रोत्साहन मिलता रहे i सादर i
रचना सरस है और नवीन सीखने को प्रेरित करती हुयी है| आपको हार्दिक बधाई प्रेषित करती हूँ| आदरणीय कुछ प्रश्न है मन मे, छंद द्रुतविलंबित मे अन्य छंदों की भांति तुकांतता नही होती क्या? छंद द्रुतविलंबित पर प्रकाश डालने की कृपा करें!
राजेश म्रदु जी
आपको यीट्स याद आये
यह तो अद्भुत है
मै तो कहूँगा आपका स्नेह है i
बहुत बहुत आभार i
अनुपमा जी
आपकी टीप से उत्साह मिला है i
धन्यवाद
कुन्ती मुकर्जी
मान्या, आपकी सराहना का धन्यवाद i
बहुत सुंदर रचना.
बेहद सुंदर भावों से ओतप्रोत , सुंदर शिल्प और कथ्य भी बड़ा ही प्रभाव पूर्ण बन पड़ा है , आ0 गोपाल नारायण जी बहुत बधाई आपको ।
प्रस्तुति अच्छी है किन्तु यदि चार पदों में तुकांत के नियमों का पालन हो जाता तो रचना सरस हो जाती
दूसरी ओर छंद के चारों पदों में प्रवाह एक जैसा न जाने क्यूँ नहीं लग रहा
हो सकता है कारण वही हो की इसमें तुकांत की बाध्यता नहीं रखी गयी है जैसा की संस्कृत के छंदों में होता है
किन्तु इस छंदमयी रचना कर्म को सादर प्रणाम
जय हो
आदरणीय बडे भाई गोपाल जी , छंद का मुझे ग्यान नही है , पर पढ कर बहुत अच्छा लगा !!! लाजवाब रचना के लिये आपको हार्दिक बधाई !!!!!
अति सुंदर प्रस्तुति, किंतु श्रद्धेय कुछ अधिक क्लिष्ट नहीं हो गया । खैरे अनायास यीट्स याद आ गए, सादर
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