For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज़रा बरसात हो जाती हिमालय भी निखर जाता---(ग़ज़ल राज)

१२२२    १२२२    १२२२   १२२२ (बह्र--हजज मुसम्मन सालिम)

ज़रा बरसात हो जाती हिमालय  भी निखर जाता

 बदन फिर से दमक जाता ज़रा पैकर निथर जाता

 

परिंदा लौट के आता शज़र के सूखते आँसू

जरा सा साथ तुम देते ज़रा वो भी ठहर जाता

 

बड़ी उम्मीद थी उसको यहाँ कुछ कर दिखाने की

अगर तुम होंसला देते उफ़ुक उसका सँवर जाता

 

खड़ा चौखट पे रहता था सदा तेरी हिफ़ाजत को

कसम से आसरा देते नसीब उसका सुधर जाता

 

भला हो ऐ ख़ुदा तेरा जो तूने राह दिखलाई

भटक कर जिंदगी में आज वो जाने किधर जाता

 

निगाहें उन चरागों की ख़ुदा हम पे भी पड़ जाती

हथेली पर जला लेते सहर अपना उभर जाता

 

सिसकती कश्तियाँ जो दर्द ये उसको सुना देती

समंदर आज खुद अपने बढ़े कद से उतर जाता 

 

*बड़ा अच्छा किया जो झील में  फेंका नहीं  कंकड़

खफ़ा होता बहुत चन्दा फ़ुसूँ उसका बिखर जाता 

************************

*संशोधित

उफ़ुक=क्षितिज़

पैकर=मुखड़ा

सहर =जादू

फ़ुसूँ=जादू मन्त्र मुग्ध

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 985

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 28, 2013 at 9:33pm

प्रिय संदीप ग़ज़ल आपकी उपस्थति और सराहना से सार्थक हुई ,तहे दिल से आभारी हूँ. 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 28, 2013 at 8:28pm

क्या बात है आदरणीया इक इक अशआर चमक रहा है इस बेहतरीन नायब ग़ज़ल के लिए दिली दाद क़ुबूल करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 28, 2013 at 12:40pm

सादर आभार आदरणीय एडमिन जी 

Comment by Saarthi Baidyanath on November 28, 2013 at 11:56am

आदरणीया ...बहुत बढ़िया , अच्छे अशआर से सजी ग़ज़ल पढ़ने को मिली !.....संशोधन के पश्चात् संग्रहणीय ग़ज़ल होगी ! बहुत बधाई

बड़ा अच्छा किया जो झील में फेंका नहीं  कंकड़ 

खफ़ा होता बहुत चन्दा फ़ुसूँ उसका बिखर जाता ...:)

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 28, 2013 at 11:28am

आदरणीय एडमिन जी कृपया ग़ज़ल के अंतिम शेर के उला में ये सशोधन कर दीजिये ---बड़ा अच्छा किया जो झील में  फेंका नहीं  कंकड़


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 28, 2013 at 11:24am

चन्द्र शेखर पाण्डेय जी तहे दिल से आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 28, 2013 at 11:23am

आदरणीया अन्नपूर्णा जी ग़जल पर आपकी सराहना मिली मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 28, 2013 at 11:22am

आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी ग़ज़ल पर उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार आपका सादर 

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on November 27, 2013 at 11:45pm
अतीव सुन्दर गजल
नमन
Comment by annapurna bajpai on November 27, 2013 at 11:04pm

आ0 राजेश कुमारी जी बहुत ही सुंदर गजल हेतु बहुत बधाई । हर शेर लाजवाब बन पड़ा है । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service