For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : सत्य मेरा बोलना ही ऐब है

बह्र : रमल मुसद्दस महजूफ

2 1  2 2  2 1  2 2  2 1 2


तंग बेहद हाथ खाली जेब है,
सत्य मेरा बोलना ही एब है,

पाँव नंगे वस्त्र तन पे हैं फटे,
वक्त की कैसी अजब अवरेब है,
( अवरेब = चाल )

जख्म की जंजीर ने बांधा मुझे,
दर्द का हासिल मुझे तंजेब है,
( तंजेब = अचकन, लम्बा पहनावा )

जुर्म धोखा देश में जबसे बढ़ा,
साँस भी लेने में अब आसेब है,
( आसेब = कष्ट )

भेषभूषा मान मर्यादा ख़तम,
संस्कारों की गिरी पाजेब है....

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1235

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 12:55pm

हार्दिक आभार नीरज भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 12:54pm

हार्दिक आभार सचिन भाई

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 12:54pm

आदरणीया सरिता जी हार्दिक आभार आपका कृपया बताएं आपको क्या गड़बड़ लगी काफिया में.

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 12:54pm

शकील भाई मैंने तो मतले में स्वर काफिया ही लिया है तो स्वर का विरोध कैसे हो रहा है कृपया बताएं मेरे हिसाब से तो काफिया दोषपूर्ण नहीं है.

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 12:52pm

आदरणीय शिज्जू सर हार्दिक आभार आपका स्नेह यूँ ही बना रहे आपने जिस शब्द को इंगित किया है उसपर जरुर बात कर स्पष्ट करूँगा.

Comment by वीनस केसरी on November 7, 2013 at 12:52am

शानदार काफिया पैमाईश है भाई ... क्या कहने ...

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on November 6, 2013 at 7:21pm

आदरणीय बेहतरीन गजल हुई है, हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by Neeraj Nishchal on November 6, 2013 at 7:08pm

आदरणीय अरुण भाई ये कहना मेरे ख़याल से ज्यादा सही रहेगा
कि आप ग़ज़ल लिखते नही बल्कि रचते हैं
हर ग़ज़ल में आप एक नए काफिये का निर्माण करते हैं
और काफिया भी असाधारण होता है
और उसको जिस तरह से निभाते हैं उसके लिए तो मै निशब्द हूँ
इस ग़ज़ल के लिए मै जितनी भी बधाई आपको दूँ कम ही रहेगी ।

Comment by Sachin Dev on November 6, 2013 at 6:16pm
बहुत उम्दा गजल भाई अरुण जी, हार्दिक बधाई स्वीकार करें इसके लिए !
Comment by Sarita Bhatia on November 6, 2013 at 4:40pm

अरुण बहुत बढ़िया

काफिये पर काफी मेहनत  हुई है

जेब और ऐब में कुछ गड़बड़ अवश्य है ,जैसे भाई शकील जी ने कहा  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service