1222 1222 1222 1222
कभी फूलों मे कलियों में, कभी झरनों के पानी में
मुझे महसूस तू होता, हवाओं की रवानी में
कभी बेकस की आहों में ,निगाहे बेबसी में भी
कभी खोजा किया तुझको, किसी गमगीं कहानी में
मुदावा मेरी लग्ज़िश का, मेरी कोशिश का तू हासिल
मेरी मुस्कान में तू है, तू है दर्दे निहानी में
खयालों मे तेरा कब्ज़ा, मेरी अनुभूति में तारी
मेरी हर गुफ़्तगू तुझसे, तू मेरी बेज़ुबानी में
तू पोशीदा, अयाँ भी तू ,दुआ भी तू, करम भी तू
तू रूहानी अक़ीदत है ,मेरी इस ज़िन्दगानी में
तू हाज़िर है, जो हर लम्हा खुली या बन्द आँखें हो
मै खुशियाँ ढूँढ लूंगा अब, बलाये आसमानी में
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मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय राजेश भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका दिली शुक्रिया !!!!!
आदरणीय नीलेश भाई , आपने गज़्ल को स्वीकारोक्ति दी , बहुत खुशी हुई !!!! आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!
आदरणीय , मेरे व्यक्तिगत रिकार्ड मे एहसास शब्द ही है , मै एहसास को 2121 मान कर हटा के अनुभूति कर दिया , आपका बहुत बहुत शुक्रिया , क्या एहसास को 221 किया जा सकता है ?
विशेष ----!!!!! आप कम से कम मेरी रचना मे सलाह या गलती बताने मे कभी संकोच न करें !!!!!!
रचना बढ़िया है वाह वाह
जानदार शुरुआत हुई है ग़ज़ल की आदरणीय ...हसीनतर
कभी फूलों मे कलियों में, कभी झरनों के पानी में
मुझे महसूस तू होता, हवाओं की रवानी में
कभी बेकस की आहों में ,निगाहे बेबसी में भी
कभी खोजा किया तुझको, किसी गमगीं कहानी में.........दिली दाद कबूल करें ...वाह :)
जय हो आदरणी, बहुत खूब लिखा है, एक सतत प्रवाह वाली इस गज़ल के लिए हार्दिक बधाई
आदरणीय श्याम भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका शुक्रिया !!!!!
आदरणीय देवेन्द्र भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका शुक्रिया !!!!!
आदरणीय नीलेश भाई , आपने गज़्ल को स्वीकारोक्ति दी , बहुत खुशी हुई !!!! आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!
आदरणीय , मेरे व्यक्तिगत रिकार्ड मे एहसाह शब्द ही है , मै एहसाह को 2121 मान कर हटा के अनुभूति कर दिया , आपका बहुत बहुत शुक्रिया , क्या एहसास को 221 किया जा सकता है ?
विशेष ----!!!!! आप कम से कम मेरी रचना मे सलाह या गलती बताने मे कभी संकोच न करें !!!!!!
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ……………… |
Adarniya sir Ek Ek Sher Dhaardaar Lekhni se Susajjit hain
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