For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Devendra Pandey
  • 34, Male
  • REWA
  • India
Share on Facebook MySpace

Devendra Pandey's Friends

  • Harish Upreti "Karan"
  • sushila shivran
  • RAHUL ROY
  • जितेन्द्र पस्टारिया
  • Savitri Rathore
  • वेदिका
  • Aarti Sharma
  • ram shiromani pathak
  • बसंत नेमा
  • vijay nikore
  • chandramauli pachrangia
  • Dr.Prachi Singh
  • MAHIMA SHREE
  • Rana Pratap Singh
  • योगराज प्रभाकर
 

Devendra Pandey's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
REWA
Native Place
REWA
Profession
EMPLOYEE
About me
I am writing poem

Devendra Pandey's Blog

मुक्तक

आपकी याद आई खुशी दे गयी।

होंठ में इक मधुर सी हँसी दे गयी।।

जाम हाथों मे हमने न थामा कभी।

आज तेरी छुअन बेखुदी दे गयी।।

  //मौलिक व अप्रकाशित//

Posted on November 6, 2017 at 2:30pm — 6 Comments

दिगपाल छंद

(दिगपाल छंद विधान:- यह छंद 24 मात्रायों का, जिसमें 12 -12 में यति के साथ चरण पूर्ण होता है)

तजि अधर्म,कर्म,सुधर्म कर,
गीता तुझे बताए I 
हों शुद्ध,बुद्ध,प्रबुद्ध सब,
निज धर्म को न भुलाए I I 

धर नव नीव स्वधर्म की,
शिव ही सत्य मानिए I 
छोड़ सकल लोभ मोह,
ऒम ही सर्व जानिए I I

मौलिक व अप्रकाशित

Posted on October 26, 2013 at 3:00pm — 18 Comments

-गीत

प्रेम में मगन मैं, होने लगा हूँ

जग से नाता तोड़ चला हूँ,मैं

जग से नाता तोड़ चला हूँ

प्रेम में मगन मैं, होने लगा हूँ

उनसे मिलन की, आस लिए

अंधरों बड़ी प्यास, लिए

दर बदर मैं, भटक रहा हूँ, हाँ

दर बदर मैं, भटक रहा हूँ

प्रेम में मगन मैं, होने लगा हूँ

आएगी कब वह, रात सुहानी

होंगी जब वो,मेरी दीवानी

रात और दिन यही, सोच रहा हूँ, मैं

रात और दिन यही, सोच रहा हूँ

प्रेम में मगन मैं, होने लगा हूँ

हर…

Continue

Posted on October 11, 2013 at 3:30pm — 9 Comments

मेरा गाँव

सुन्दरता इसको घेरी है 

मादकता इसमें पिरोई है 

मीठे में मिश्री जैसा मेरा गाँव 

सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा गाँव 



उंच नीच का भेद नहीं है 

शहरों जैसा क्लेश नहीं है 

फूलों में गुलशन जैसा मेरा गाँव

सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा गाँव 



सुन्दरता तरुओं की प्यारी 

मादकता सरसों की सारी …

Continue

Posted on July 6, 2013 at 2:30pm — 4 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 8:21am on October 2, 2013, vijay nikore said…

मित्रता का हाथ बढ़ाने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय।

सादर,

विजय निकोर

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
10 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service