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गुरु तोमर छंद पर आधारित रचना - प्रथम प्रयास 
.
पिय नाम को पुकारि कै| अपनी पलकें सँवारि कै |
मन लोचनों में धारि कै| मैं द्वार पथ को  झाकि कै ||  
मन में खुद को निहारि कै|अंगुरि में अंगुरी डारि कै |
लट के पटों से  देखि कै | दिल में कसक सी मारि कै || 
मैं चल रही हूँ झूमि कै| यौवन नशा भरपूरि कै |
दिन भी सारा गुजारि कै| पिय भी मिलेंगे सांझि कै ||
वो न आये फिर राति कै| सिंगार भी ये बिगारि कै |
मेरा मन भी उदास है   | पिय मिलन से ही राति है ||   
.
आशीष (सागर सुमन) 
मौलिक एवं अप्रकाशित

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 16, 2013 at 11:34pm

प्रयास के लिए हार्दिक धन्यवाद. तनिक और सघनता की आवश्यकता है जो समयानुसार होती जायेगी.

शुभेच्छाएँ

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 6, 2013 at 12:39pm

आदरणीय आशीष भाई जी तोमर छंद पर प्रथम प्रयास बहुत ही बढ़िया बन पड़ा है पिया के इन्तजार में प्रियतमा के मन की बात का सुन्दरता से वर्णन किया है वो क्या क्या सोचती है करती कि उसके पिया उससे मिलने आयेंगे. बहुत ही सुन्दर भाई जी बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by Ashish Srivastava on October 6, 2013 at 11:38am

Er. Ganesh Jee "Bagi"

ji aapki badhai ke liye aabhaar 

matraon ki trruti dhyaan dilane ke liye aabhaar 

sahi matra channd 

पिया नाम को पुकारि कै ।  पलकें अपनी सँवारि कै ॥  
मन लोचनों में धारि कै। मैं द्वार पथ को  झाकि कै  || 
मन में खुद को निहारि कै। अंगुरि म अंगुरि  डारि कै ॥ 
लट के पटों से  देखि कै ।  दिल में कसक सी मारि कै ॥ 
मैं चल रही हूँ झूमि कै।  यौवन नशा भरपूरि कै ॥
दिन भी सारा गुजारि कै।  पिय भी मिलेंगे सांझि कै॥
वो न आये फिर राति कै।  सिंगार भी ये बिगारि कै ॥
मेरा मन भी उदास है   ।  पिय मिलन से ही राति है  ॥ 
Comment by Abhinav Arun on October 6, 2013 at 10:25am

सुन्दर छंद , बधाई !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 6, 2013 at 10:25am

तोमर छंद (चार चरण,प्रत्येक चरण १२ मात्रा अंत गुरु लघु) के चरण के अंत में एक गुरु जोड़ देने से गुरु तोमर छंद का सृजन होता है, एक बार मात्रा गिनती देख लें आदरणीय,छंद पर सराहनीय प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें । 

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