"डॉ साहिब, हमें बेटी नहीं चाहिए. आप बहू का एबॉर्शन कर दीजिए."
"ठीक है, आप लोग कल शाम मेरे प्राइवेट क्लिनिक पर आ जाईए".
"कल नहीं डॉ साहिब, हम लोग अगले हफ्ते ही आ पाएंगे"
"अगले हफ्ते क्यों ?"
"क्योंकि अभी नवरात्रे चल रहे हैं "
(मौलिक एवँ अप्रकाशित्)
Comment
आदरणीय बेहद सशक्त लघुकथा इसे कहते हैं गागर में सागर भरना कम शब्दों में कितनी बड़ी बात कह गए आप, इस सुन्दर संदेशात्मक लघुकथा हेतु हृदयतल से हार्दिक बधाई स्वीकारें.
आदरणीय योगराज जी:
इतने थोड़े से शब्दों में आपने हमारे समाज की किताब लिख दी है...
बधाई के लिए उचित शब्द नहीं हैं... कृपया स्वीकार करें..
सादर,
बधाई
कम शब्दों में बहुत बड़ी बात, बधाई स्वीकारें आदरणीय योगराज जी
वाह सर वाह क्या बात कह डी चाँद लाईनों में ! अति उम्दा !
वाह, क्या बात है |कम शब्दों में बहुत बड़ी बात | बधाई स्वीकारें आ० योगराज जी
आदरणीय अग्रज,
न्यूनतम शब्दों में अधिकतम सम्प्रेषण! इसे ही कहते हैं 'बिंदु में सिंधु'! शुभकामनाएँ,
जी यह लघु कथा है ... एम् ए में कथा के जो तत्व बताये गए थे उनसे युक्त ...बहुत सशक्त और विचारणीय विन्दु को रोचकता के साथ कथा शिल्प में पिरोया गया है ..बहुत बहुत साधुवाद आदरणीय , नमन आपको !!
उन्हें देवि की यथोचित कृपा प्राप्त हो-
मार्मिक कथ्य-
आभार आदरणीय-
नवरातों के बाद दुर्गा जी तो चली जाएगी फिर कौन देखने वाला है यहाँ,,कुछ भी करो !!
बहुत मार्मिक कथा आदरणीय योगराज जी!
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